सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, नवंबर से करना होगा इस नियम का पालन, वरना कटेगा वेतन, विभाग ने जारी किए निर्देश

Pooja Khodani
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उत्तर प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने एक बार फिर प्रदेश में सचिवालय के कर्मचारियों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत अब एक नवंबर से सचिवालय के सभी 93 विभागों के कर्मचारियों व अधिकारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करानी होगी, अन्यथा अनुपस्थिति लगाकर वेतन काटा जाएगा।मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने बायोमीट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही वेतन बनाए जाने के निर्देश जारी किए हैं।

नवंबर से नई व्यवस्था लागू, पालन ना करने पर कटेगा वेतन, होगी कार्रवाई

दरअसल, अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा विभागों में समय पर ना पहुंचने और व्यवस्थित ढंग से उपस्थिति दर्ज ना कराने के चलते प्रदेश सरकार ने जुलाई 2019 में बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू की थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इसमें बदलाव कर हाजिरी दर्ज करने की वैकल्पिक व्यवस्था की गई, लेकिन अब लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राज्य सरकार ने फिर बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने के आदेश जारी किए है।आदेश में साफ किया गया है कि नवंबर महीने का वेतन बायोमेट्रिक उपस्थिति के आधार पर ही बनाया जाएगा। ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जो बायोमीट्रिक उपस्थिति दर्ज नहीं करेंगे उनका वेतन काटा जाएगा। लोगों के खिलाफ अब सख्त एक्शन लिया जाएगा, इसलिए सभी विभाग इस पर काम करें।

बायोमेट्रिक अटेंडेंस ना होने पर माना जाएगा अनुपस्थित

उत्तर प्रदेश के अलावा अब हरियाणा में भी कर्मचारियों अधिकारियों के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य कर दिया गया है और ऐसा न कराने पर कार्रवाई होगी, सैलरी काटी जाएगी।वही कर्मचारियों द्वारा बायोमेट्रिक अटेंडेंस न लगाने पर अनुपस्थित भी माना जाएगा।इस संबंध में मुख्य सचिव संजीव कौशल ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं।बता दे कि कोरोना काल के दौरान कर्मचारियों को आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (AEBAAS) की बजाय मैन्युअली उपस्थिति दर्ज करने की छूट दी गई थी, लेकिन इससे कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई, ऐसे में सरकार ने इसे दोबारा से लागू करने का फैसला किया है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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