सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, छठे वेतन आयोग पर अपडेट, हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

salary news

6th Pay Commission/Retired Employees : हिमाचल प्रदेश के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। छठे वेतन आयोग पर ताजा अपडेट सामने आई है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ न देने पर कड़ा संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से 4 हफ्तों में जवाब मांगा है।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने राज्य के वित्त और शिक्षा विभाग के सचिव के साथ प्रदेश के महालेखाकार को भी नोटिस जारी कर सेवानिवृत्त कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग का लाभ न देने के संबंध में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 16 अक्तूबर को निर्धारित की गई है।

ये है पूरा मामला

दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सेवानिवृत्त शिक्षकों को अबतक छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया है, जिससे नाराज होकर शिक्षकों कर्मचारियों ने अदालत में एक याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई थी, जिस पर शनिवार को सुनवाई हुई। याचिका के माध्यम से कर्मचारियों के अधिवक्ता ने हाई कोर्ट को बताया गया है कि 25 फरवरी 2022 को राज्य सरकार ने पेंशन नियमों में संशोधन किया था।

याचिका में आगे बताया गया कि संशोधन के तहत पहली जनवरी 2016 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्यूटी की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 कर दी थी, 17 सितंबर 2022 को सरकार ने कार्यालय ज्ञापन जारी कर वित्तीय लाभ देने के लिए किस्तें बनाईं जिसके अनुसार वित्तीय लाभों की बकाया राशि का भुगतान पांच किस्तों में करने का प्रावधान बनाया, जो की गलत है।

कर्मचारियों ने मांगा जनवरी 2022 से वित्तीय लाभ

याचिका में दलील दी गई है कि वे भी संशोधित वेतनमान के तहत बकाया राशि के हकदार हैं, उनके वित्तीय लाभ किस्तों में देने का प्रावधान सरासर गलत है। सेवानिवृत्ति लाभ पाना उनका सांविधानिक अधिकार है, ऐसे में उन्हें भी संशोधित वेतनमान के तहत 3 जनवरी 2022 से वित्तीय लाभ दिए जाएं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि  जो कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 31 जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए हैं, उन्हें वित्तीय लाभ पांच किश्तों में और जो 1 मार्च 2022 से बाद सेवानिवृत हुए हैं, उन्हें सभी लाभों का बकाया एक साथ भुगतान किया जा रहा है।


About Author
Pooja Khodani

Pooja Khodani

खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

Other Latest News