कोलकता।
कोरोना संकटकाल (Corona crisis) के बीच पश्चिम बंगाल (West Bengal) से बड़ी खबर मिल रही है।यहां बीजेपी विधायक का शव रस्सी से लटका हुआ मिलने से हड़कंप मच गया है। बीजेपी(BJP) का आरोप है कि पहले विधायक की हत्या की गई, फिर उनकी लाश को लटका दिया गया है।बीजेपी के महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इसकी कड़ी निंदा की।BJP ने सीबीआई जांच की मांग की है।
दरअसल, हेमताबाद सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) विधायक देबेंद्र नाथ रे की लाश फंदे से लटकती मिली है, बीजेपी विधायक देबेंद्र नाथ रे की लाश उनके गांव के पास बिंदल में मिली है। देबेंद्र राय पिछले साल ही माकपा से भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की सदस्यता ली थी। विधायक के स्वजनों तथा स्थानीय लोगों के मुताबिक कल रात में कुछ बाइक सवार उन्हें घर से बुलाकर ले गए थे और सुबह घर से एक किलोमीटर दूर एक दुकान के बरामदे में रस्सी से झूलता उनका शव मिला।उन्होंने कहा कि देबेंद्र राय की हत्या कर शव को रस्सी से लटकाया गया है। दूसरी ओर पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि उत्तर दिनाजपुर की रिजर्व सीट हेमताबाद से भाजपा विधायक देबेंद्र नाथ राय का शव उनके गांव के बिंदल में लटका हुआ मिला। उन्होंने आगे कहा, लोगों में इस बारे में स्पष्ट राय है कि उन्हें पहले मारा गया और फिर लटका दिया गया।
बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘निंदनीय और कायरतापूर्ण कृत्य। ममता बनर्जी के राज में भाजपा नेताओं की हत्या का दौर थम नहीं रहा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) छोड़ भाजपा में आए हेमताबाद के विधायक देबेंद्र नाथ रे की हत्या कर दी गई, उनका शव फांसी पर लटका मिला, क्या इनका गुनाह सिर्फ भाजपा में आना था ?’लोकतंत्र को कैसे कुचला जाता है पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इसका जीवंत उदाहरण है। राजनीतिक मतभेदों को हिंसक तरीके से दबाया जा रहा है। लेकिन, लोकतंत्र का ये मख़ौल ज्यादा दिन का नहीं है! आखिर ममता राज का फैसला तो जनता ही करेगी।
बता दे कि देबेंद्र नाथ रे ने अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व हेमताबाद सीट से 2016 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। वह सीपीएम के टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे। कांग्रेस ने भी देबेंद्र नाथ रे का समर्थन किया था। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद देबेंद्र नाथ रे ने सीपीएम छोड़ दी थी और बीजेपी में शामिल हो गए थे।
लोकतंत्र को कैसे कुचला जाता है पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इसका जीवंत उदाहरण है। राजनीतिक मतभेदों को हिंसक तरीके से दबाया जा रहा है। लेकिन, लोकतंत्र का ये मख़ौल ज्यादा दिन का नहीं है! आखिर ममता राज का फैसला तो जनता ही करेगी। #DemocracyKillerMamata
— Kailash Vijayvargiya (Modi Ka Parivar) (@KailashOnline) July 13, 2020