Same Sex Marriage Unacceptable : राज्यसभा में आज भाजपा सांसद एवं बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने के खिलाफ सवाल उठाया। शून्य काल के दौरान बोलते हुए सुशील कुमार मोदी ने कहा कि भारत में इस तरह की चीजों की ना कोई मान्यता है और ना ही स्वीकार्यता है, यदि ऐसा होता है तो ये पूर्ण विनाश का कारण होगा।

वरिष्ठ नेता एवं भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि समलैंगिक विवाह (Same Gender/ Same Sex Marriage) एक सामाजिक मुद्दा है। न्यायपालिका को इसकी वैधता पर फैसला नहीं करना चाहिए बल्कि संसद और समाज में इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विवाह एक ऐसा प्रावधान है जिसमें पुरुष और महिला दोनों एक साथ रहते हैं, बच्चे पैदा करके मानव श्रृंखला को आगे बढ़ाते हैं।
मोदी ने आगे कहा है कि घरेलू हिंसा, गोद लेने, तलाक और ससुराल में रहने के अधिकार से संबंधित जैसे कई कानून भारत में पुरुषों और महिलाओं के बीच विवाह की संस्था से जुड़े हैं। समलैंगिक विवाह को न तो मान्यता दी जाती है और न ही किसी असंहिताबद्ध व्यक्ति कानूनों और संहिताबद्ध विधियों द्वारा मान्यता दी जाती है।
उन्होंने कहा कि वो वामपंथी उदारवादियों और कार्यकर्ताओं की मांगों के खिलाफ हैं जो इस विवाह को पश्चिमी प्रभाव के तहत कानूनी मान्यता देना चाहते हैं। सुशील कुमार मोदी ने कहा- मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूँ कि वह अदालत में समलैंगिक विवाह का कड़ा विरोध करें, यह देश में निजी कानूनों के नाजुक संतुलन के साथ पूरी तरह से तबाही मचाएगा। मोदी ने कहा कि देश में समान लिंग के लोगों के बीच विवाह को कानूनी मान्यता देने की बढ़ती मांग पर उन्हें चिंता हो रही है, ये कानून कहीं से भी सही नहीं है।
आपको याद दिला दें 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सम्बंधित कानून को समाप्त कर समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था लेकिन अभी तक समान लिंग की व्यक्तियों को विवाह की कोई क़ानूनी मंजूरी नहीं मिल पाई है। इसी महीने LGBTQ जोड़ों द्वारा दायर की गई दो जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य द्वार उन्हें विवाहिक मान्यता नहीं देना उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।