Jammu-Kashmir Elections: अब जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घड़ी नजदीक आ चुकी है, और इसी के चलते सभी राजनीतिक दल जोरों शोरों से अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। आपको बता दें, जम्मू कश्मीर में यह चुनाव एक दशक के बाद हो रहा है, जो की तीन चरणों में संपन्न होंगे। पहला चरण 18 सितंबर, दूसरा 25 सितंबर और तीसरा 1 अक्टूबर को होगा।
इसी सिलसिले में रविवार शाम को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के चयन पर विचार विमर्श के लिए बैठक की। बैठक के दौरान आने वाले जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर अहम चर्चा हुई। आपको बता दें, इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और CEC के अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। बैठक के दौरान करीबन 90 सीटों पर विस्तार से चर्चा की गई। हालांकि आधिकारिक तौर पर सीटों और प्रत्याशियों की घोषणा अभी बाकी है।
BJP का अकेले चुनाव लड़ने का फैसला (J&K Elections)
भाजपा ने जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को लेकर बिना किसी गठबंधन के अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। चुनाव तीन चरणों में संपन्न होंगे और पार्टी ने अपनी रणनीति के तहत कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी की है। हालांकि यह भी जानकारी मिली है कि बीजेपी कुछ चुनिंदा सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों का भी समर्थन कर सकती है। यह समर्थन खासतौर से उन क्षेत्रों में किया जाएगा जहां पार्टी अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी।
उम्मीदवारों की सूची जारी होने की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अधिकांश सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम तय कर लिए हैं। अब पार्टी कभी भी अपनी पहली सूची जारी कर सकती है। इसी सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी और गहन चर्चा की गई है।
2014 का गठबंधन
2014 के विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई थी। इस गठबंधन के तहत मुफ्ती मोहम्मद सईद को मुख्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन जनवरी, 2016 में सईद के निधन के बाद प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसके कुछ समय बाद ही महबूबा मुफ्ती ने गठबंधन के तहत मुख्यमंत्री पद संभाला। लेकिन फिर जून 2018 में भाजपा ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे गठबंधन टूट गया और प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरू हो गया।