नई दिल्ली। देश की सरकार का हर फैसले का असर सबसे ज्यादा माध्यम वर्गीय परिवार पर पढता है| चाहे गरीबों और किसानों को राहत देने वाली घोषणाएं हो, लेकिन इसका भार मध्यम वर्गीय परिवार को झेलना पड़ता है| लेकिन इस बार मध्यमवर्गीय नौकरी पेशा लोगों को बड़ी राहत मिली है| अब 5 लाख रुपए तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। केंद्र सरकार ने टैक्स छूट की सीमा को 2.5 लाख रुपए से बढ़ा कर 5 लाख रुपए कर दिया है।
पहले से उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इनकम टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत का ऐलान कर सकती है। बजट भाषण के दौरान जैसे ही कार्यवाहक वित्तमंत्री पीयूष गोयल ने टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत देते हुए 5 लाख तक आय पर कोई टैक्स नहीं लगने की घोषणा की| सदन में मोदी मोदी के नारे गूंजने लगे| मध्यम वर्गीय सरकार ने इनकम टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव का ऐलान करते हुए 5 लाख तक की इनकम पर टैक्स छूट का प्रस्ताव रखा, जिसकी सीमा अब तक 2.5 लाख रुपये थी। इससे 3 करोड़ मध्यम वर्ग के परिवारों को फायदा मिलेगा। अगर इसमें आयकर की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को जोड़ दिया जाए, तो यह दायरा बढ़कर 6.5 लाख रुपए से अधिक हो जाएगा। यानि आप बचत करते हैं तो टैक्स की यह छूट 6.50 लाख हो जाएगी। वहीं दूसरा बड़ा ऐलान यह रहा कि एफडी के 40 हजार रुपए तक के ब्याज पर भी कोई टैक्स नहीं लगेगा। वहीं स्टैंडर्ड डिडक्शन 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार किया।एचआरए पर टैक्स छूट 1.80 लाख से बढ़ाकर 2.40 लाख की गई।
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने मानक कटौती सीमा (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 तक कर दिया है। इस घोषणा के बाद वेतनधारी नागरिकों को अब अधिक टैक्स सेविंग का फायदा मिलेगा। वेतन से मिलने वाले स्टैंडर्ड डिडक्शन में फायदे की घोषणा सबसे पहले पिछले साल 2018 के बजट में किया गया था। उस दौरान मेडिकल के खर्चे (मेडिकल रिइम्बर्समेंट) और यातायात भत्ता (ट्रांसपोर्ट अलावेंस) के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन 40,000 तक की घोषणा की गई थी। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में वेतनधारियों से इन दोनों योजनाओं को बाहर कर दिया गया | इस बार के बजट और वर्तमान नियम के मुताबिक स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा ना सिर्फ वेतनधारी नागरिकों को मिलेगा बल्कि पेंशनधारियों को भी इसका फायदा मिलेगा।
नौकरीपेशा को तोहफा, च्युटी लिमिट डबल
बजट में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिली है| कर्मचारियों की ग्रेच्युटी लिमिट को डबल कर दिया गया है| पहले यह लिमिट 10 लाख की थी जो अब 20 लाख रुपये हो गई है| ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को ग्रेच्युटी दी जाती है| यह उन सभी संस्थानों पर लागू होता है, जिसमें 10 या इससे अधिक कर्मी होते हैं| इसका मकसद कर्मचारियों को उनके रिटायर होने के बाद सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना होता है| कर्मचारी अगर कंपनी या संस्थान में रिटायरमेंट के बाद या फिर शारीरिक अपंगता की वजह से काम करना बंद कर दे तो उसे शर्तों के साथ ग्रेच्युटी मिलती है| ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को तभी मिलती है जो नौकरी में लगातार करीब 5 साल तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है|