Chandrayaan 3 launch: भारत के तीसरे चंद्र मिशन के तहत chandrayaan-3 को दोपहर 2:35 पर चंद्रमा की और लांच कर दिया गया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसे अंतरिक्ष में छोड़ा गया है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह चंद्रयान 50 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा।
चंद्रयान को लॉन्च करने के लिए एलवीएम 3 लॉन्चर का इस्तेमाल हुआ है और अगर चांद की सतह पर पहुंचने के बाद इसकी लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाती है, तो दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मून मिशन पर खुशी जताते हुए ट्वीट कर शुभकामनाएं दी हैं और आज का दिन सुनहरे अक्षर में अंकित होने की बात कही है।
LVM3 M4/Chandrayaan-3 Mission:
LVM3 M4 vehicle🚀 successfully launched Chandrayaan-3🛰️ into orbit.— ISRO (@isro) July 14, 2023
काउंटडाउन है जारी
चंद्रयान को शुक्रवार दोपहर 2:35 मिनट 17 सेकंड पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाने वाला है। इसके लिए काउंटडाउन गुरुवार दोपहर 1 बजे से शुरू कर दिया गया है। लॉन्च के बाद इसरो का चंद्रयान 3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने में सफल रहने पर भारत दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला और चांद पर लैंड करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसके पहले रूस, अमेरिका और चीन जैसे देश चंद्रमा पर अपना यान उतार चुके हैं।
एलवीएम-3 एम4 से होगा प्रक्षेपण
चंद्रमा तक भारी उपग्रह को पहुंचाने का काम रॉकेट एलवीएम 3 एम4 से किया जाने वाला है। लॉन्चिंग के 1 महीने बाद विक्रम लैंडर की दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करवाई जाएगी। जिसके बाद चंद्रमा के इस हिस्से के बारे में कुछ जानकारियां उपलब्ध होंगी जो अब तक मानव नजरों से छिपी हुई है।
पृथ्वी के 14 दिन, चंद्रमा का एक दिन
चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान 1 दिन में पृथ्वी के 14 दिन के बराबर काम करने वाले हैं। जितना समय पृथ्वी के 14 दिनों में होता है वह चांद पर 1 दिन के बराबर है। 2019 में चंद्रयान-2 को मिशन पर भेजा गया था, लेकिन लैंडर चंद्रमा पर उतरने में सफलता हासिल नहीं कर सका था। विफलता की वजह बनी चीजों को फिर से तैयार कर इसमें सुधार लाया गया है और निश्चित ही सफलता मिलने की उम्मीद वैज्ञानिकों ने जताई है। मिशन के सफल हो जाने पर यह भावी पीढ़ियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होने वाला है। इसमें किए गए परीक्षण ना सिर्फ चंद्रमा की सतह के बारे में बल्कि पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में भी वैज्ञानिकों को जानकारी देंगे।