“भारतीय सेना ने देशवासियों का सीना चौड़ा करने का काम किया है” बोले राजनाथ

Rajnath singh On Indian Army : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में भारत चीन युद्ध भारतीय सेना के द्वारा अदम्य साहस का परिचय देने का खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय सैनिकों ने जिस अदम्य वीरता का परिचय दिया है उससे हर भारतीय का सीना चौड़ा हो गया है। उन्होंने अपने भाषण के दौरान राहुल गांधी की भी जमकर आलोचना की।

भारत 2047 में विश्व की नंबर वन अर्थव्यवस्था होगा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रविवार को मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के दौरे पर थे। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ मंच साझा करते हुए उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते सम्मान की चर्चा की और बताया कि किस तरह से भारत का सम्मान पूरे विश्व के अंदर तेजी से बढ़ रहा है। मोदी जी के कुशल नेतृत्व में हम न केवल धीरे-धीरे आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं बल्कि 2027 तक भारत विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा और 2047 आते-आते विश्व की नंबर वन अर्थव्यवस्था हो जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय सेना को लेकर जिस तरह की बातें राहुल गांधी करते हैं वह अपने आप में काफी दुखद है। राजनाथ ने कहा कि हाल ही में भारत चीन युद्ध के बीच जिस तरह के अदम्य साहस का परिचय भारतीय सेना ने किया उससे हर भारती का सीना चौड़ा हो जाएगा और मैं चाहता हूं कि लोग सेना के सम्मान में तालियां बजाकर उनका स्वागत करें। उसके बाद लाखों लोगों ने तालियां बजाकर सेना के सम्मान में.। कृतज्ञता व्यक्त की।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।