रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहुंचे झांसी, राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व के उद्घाटन में हुए शामिल, कही यह बात।

Gaurav Sharma
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झांसी, डेस्क रिपोर्ट। भारत सरकार के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज झांसी पहुंचकर “राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व” के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने इस पर्व को देश की रक्षा के प्रति भारत वासियों के संकल्प के साथ साथ शौर्य, पराक्रम और भारतीय परंपरा का उत्सव बतया। मंच से संबोधित करते हुए सिंह ने कहा “यह पर्व हमें भारत की गौरव गाथा से जोड़ता है, देश की स्वाधीनता के लिए हुए संग्रामों से जोड़ता है। यह पर्व भारत की आजादी के ‘अमृत महोत्सव’ से भी जुड़ा हुआ है”।

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झांसी पहुंचे राजनाथ सिंह ने महारानी लक्ष्मीबाई को याद करते हुए उन्हें बार बार नमन किया। सिंह ने कहा कि जब अंग्रेज एक एक करके सभी रियासतों को अपने अधीन कर रहे थे तब स्वाधीनता संग्राम की महानायक वीर महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को साफ साफ कह दिया कि ” मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी”। राजनाथ सिंह ने कहा कि “मैं बड़ी श्रद्धा के साथ, शीश झुकाकर, महारानी लक्ष्मीबाई के राष्ट्र-प्रेम, शौर्य, साहस और बलिदान को स्मरण करता हूं और उनकी स्मृतियों को नमन करता हूं”।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई और अवंती बाई का उदाहरण देकर नारीशक्ति के अबला होने की बात का खण्डन किया। उन्होंने कहा कि अब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में हर क्षेत्र में महिलाओं को अपनी भागीदारी देने का मौका मिला है। अब ऐसी कोई फोर्स नहीं भारत की जहां महिलाओं की भागीदारी न हो। महिलाओं की शक्ति को दर्शाते हुए उन्होंने 1942 में सुभाष चंद्र बोस द्वारा INA में गठित रानी लक्ष्मीबाई रेजीमेंट का उदाहरण भी दिया।

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उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्तिथि में उन्होंने “UP Defence Corridor” की सफलता के लिए केंद्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने बताया कि अब भारत देश आत्मनिर्भर हो रहा है जिसके तरह अब हम केवल 35% रक्षा सामग्री का आयात कर रहे हैं, बाकी 65 % सामान अब यहीं भारत में बन रहा है जो एक बड़ी उपलब्धि है। Make in India के बाद अब Make for world के लक्ष्य को भारत जल्द हो प्राप्त करेगा, ऐसा सिंह ने बताया।

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आखिर में अपने संबोधन को समाप्त करते हुए राजनाथ सिंह ने सभी से कहा कि “इस पूरे सभा स्थल की भव्यता, और रौनक देख कर लग रहा है कि झाँसी का कोना-कोना, मानों ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ पूरे जोर-शोर से मना रहा है। यह पर्व इस देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के संकल्प से जुड़ा है। इसलिए इसकी सफलता सुनिश्चित करना हम सबकी ज़िम्मेदारी है”।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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