ऑटोमोबाइल, डेस्क रिपोर्ट। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण लोग अब इंधन की खपत कम करने के लिए सीएनजी आधारित वाहनों के प्रति अपना रुख बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों के अगर डाटा को देखा जाए तो सीएनजी आधारित वाहनों का चालान दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। वहीं वाहनों में सीएनजी किट लगवाने की होड़ सी मच गई है लेकिन क्या आपको यह पता है कि सीएनजी किट लगवाने के बाद आपको आरटीओ ऑफिस आरटीओ ऑफिस में क्यों देनी होती है इसकी जानकारी?
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इंश्योरेंस पॉलिसी रद्द हो सकती है
पेट्रोल और डीजल के मुकाबले सीएनजी वाहन का ईंधन खर्चा काफी कम होता है। जिन वाहनों में सीएनजी किट नहीं है उनमें बाजार से अलग से किट लगवाई जा सकती है। देश में सीएनजी के पंपों की संख्या में भी इस समय बढ़ोतरी देखने को मिल रही है क्योंकि सीएनजी किट लगवाने का प्रचलन धीरे-धीरे बढ़ता ही जा रहा है। वहीं वाहन निर्माता कंपनी है सीएनजी से चलित कारें भी अब बना रही हैं। कई मामलों में देखा गया है कि वाहन मालिक सीएनजी किट तो लगवा लेते हैं लेकिन वाहन के इन बदलावों की जानकारी स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और इंश्योरेंस कंपनी को देना जरूरी नहीं समझते हैं। कई मामलों में यह भी देखा गया है कि इसके बारे में लोगों को जानकारी भी नहीं होती है।
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बीमा रद्द होने से बचाना चाहते हैं तो सीएनजी किट लगवाने के बाद आपको स्टेट ऑफिस और इन्स्योरेन्स कंपनी को इसकी जानकारी देना जरूरी हो जाता है नहीं तो आपको इसके भारी भरकम नुकसान हो सकता है।
आरसी में दर्ज कराएं सीएनजी
सीएनजी या फिर एलपीजी कट लगवाने के बाद आपको आरसी में इसको करवाना अनिवार्य हो जाता है क्योंकि इधर तकनीक बदलने से आपकी गाड़ी के इंजन पर भी अलग प्रभाव पड़ता है। जब भी सीएनजी किट लगाते हैं तो उसके बाद स्टेट ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट द्वारा जारी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में डीजल है पेट्रोल जहां पर लिखा होता है वहां पर सीएनजी एलपीजी दर्ज करा लेना जरूरी हो जाता है। इसके अलावा आरसी बुक इंश्योरेंस पॉलिसी की कॉपी में भी इसकी इनवॉइस लगती है।
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कई बार वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। उसके बाद बीमा कंपनी आपको क्लेम देने से इंकार कर देती है क्योंकि कार के बीमा का प्रीमियम बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है। इसमें आईडी भी कार के इंजन का क्यूबिक कैपेसिटी ईंधन और कई अन्य चीजें शामिल होते हैं। इसलिए भी वाहन में किसी भी तरह के बदलाव की जानकारी बीमा कंपनी को दें।