भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। देश भर में कोरोना का नया स्ट्रेन Covid-19 Strain) थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 24 घंटे में देश में 2,00,739 नए मामले सामने आए हैं। जबकि 1038 लोगों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा खराब हालात महाराष्ट्र के हैं। महाराष्ट्र में पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने चौंकाने वाली जानकारी साझा की है। कोरोना सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग से यह जानकारी सामने आई है कि लिए गए सभी सैंपल में B.1.617 वैरिएंट पाया गया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के मुताबिक कोरोना यह जो नया वैरिएंट सामने आया है, इसमें E484Q और L452R नामक दो म्यूटेशन हुए हैं।
कैसे पता चला कोरोना के डबल म्यूटेंट के बारे में?
इंडियन सार्स-सीओवी-2 कंसोर्टियम ऑन जेनोमिक्स (INSACOG) स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत बनाई गई 10 राष्ट्रीय लेबोरेट्री का समूह है जो देश में अलग-अलग हिस्सों से आए सैंपल की जीनोमिक सीक्वेंसिंग का पता लगाती है। जीनोमिक सीक्वेंसिंग किसी जीव के पूरे जेनेटिक कोड का खाका तैयार करने की एक टेस्टिंग प्रक्रिया है। INSACOG का गठन 25 दिसंबर 2020 को किया गया था जो जीनोमिक सीक्वेंसिंग के साथ-साथ कोविड-19 वायरस के फैलने और जीनोमिक वेरिएंट के महामारी विज्ञान के रुझान पर अध्ययन करता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि INSACOG ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 10,787 पॉजिटिव सैंपल इकट्ठा किए थे जिसमें 771 VOCs पाए गए। इसमें बताया गया कि इन 771 में से 736 पॉजिटिव सैंपल यूके वेरिएंट, 34 सैंपल दक्षिण अफ्रीका वेरिएंट और 1 सैंपल ब्राजील वेरिएंट का था। लेकिन जिस नए वेरिएंट की खासी चर्चा शुरू हो गई है उसे ‘डबल म्यूटेंट’ वेरिएंट बताया जा रहा है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि इस डबल म्यूटेंट वेरिएंट के कारण देश में संक्रमण के मामलों में उछाल नहीं दिखता है। मंत्रालय ने बताया है कि इस स्थिति को समझने के लिए जीनोमिक सीक्वेंसिंग और एपिडेमियोलॉजिकल (महामारी विज्ञान) स्टडीज जारी है।
वायरस की नई किस्म
हालांकि बताया गया है कि वायरस की यह नई किस्म शरीर के इम्यून सिस्टम से बचकर संक्रामकता को बढ़ाता है। वायरस का यह म्यूटेशन करीब 15 से 20 फीसदी नमूनों में पाया गया है जबकि यह चिंता पैदा करने वाली पहले की किस्मों से मेल नहीं खाता। महाराष्ट्र से मिले नमूनों के विश्लेषण से पता चला है कि दिसंबर 2020 की तुलना में नमूनों में ई484क्यू और एल452आर म्यूटेशन के अंशों में बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के देश आने पर और अन्य रोगियों से लिए गए नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग और इसके विश्लेषण के बाद पाया गया है कि इस किस्म से संक्रमित लोगों की संख्या 10 है।
क्यों खतरनाक है डबल म्यूटेशन?
वायरस में म्यूटेशन होना आम बात मानी जाती है और वायरस की प्रकृति में बदलाव होने पर इसका शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। डॉक्टर से लेकर वैज्ञानकों को इसके असर और लक्षण के बारे में जानने में वक्त लगता है। लेकिन कई बार डबल म्यूटेशन के बाद वायरस की प्रकृति या व्यवहार बिल्कुल बदल जाता है। ऐसे म्यूटेशन के आगे कई बार इम्यूनिटी भी नाकाफी साबित होती है। जो वायरस को और भी खतरनाक बना देता है।