Tue, Dec 30, 2025

Electric vehicle: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सस्ते हो रहे टू-व्हीलर EV, निर्माताओं ने 25 हजार रुपए तक घटाईं कीमतें, जानें इसका कारण

Written by:Rishabh Namdev
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Electric vehicle: इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने वालों के लिए बड़ी खुशखबरी, सस्ते हो रहे टू-व्हीलर EV, निर्माताओं ने 25 हजार रुपए तक घटाईं कीमतें, जानें इसका कारण

Electric vehicle: अगर आप इलेक्ट्रिक वेहिकल खरीदने का सोच रहे है तो यह खबर आपके काम की हो सकती है। दरअसल कई इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियों ने एंट्री लेवल मॉडलों की कीमतों में औसतन 15-17% तक कटौती कर दी है। जिससे अब इलेक्ट्रिक वाहन के दामों में कमी आने वाली है। जानकारी के अनुसार अब इलेक्ट्रिक वाहन के कई मॉडल 20-25 हजार रुपए कम कर दिए है। दरअसल दाम घटाने की मुख्य वजह टू-व्हीलर EV को ज्यादा अफोर्डेबल बनाकर उसकी बिक्री को बढ़ाना बताया जा रहा है।

दामों में गिरावट का क्या कारण है?

दरअसल काफी समय से देश में स्थापित पेट्रोल दोपहिया निर्माताओं ने भी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरिंग में अपना रुख दिखाया है। जिससे देश में 2 पहियां इलेक्ट्रिक वाहनों में बड़ा उछाल देखने को मिला है। दरअसल बढ़ते मैन्युफैक्चरिंग के चलते इस सेक्टर में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ रही है। लेकिन अब मैन्युफैक्चरर बैटरी की कीमतों में हो रही गिरावटों से ग्राहकों को बड़ा फायदा हो रहा हैं।

बैटरी की कीमतों में भी गिरावट:

वहीं ईवी बैटरी एक्सपर्ट और ईवी ऊर्जा के सीईओ संयोग तिवारी की मानें तो भारत सहित दुनिया के कई देशों में लीथियम के भंडार मिलते है लेकिन इसके बाद भी ईवी बैटरी के क्षेत्र में कब्ज़ा जमाने वाले चीनी बैटरी निर्माताओं को मार्केट शेयर घटता हुआ दिखाई दे रहा है। जिसका असर बैटरी मैन्युफैक्चरिंग पर दिखाई दे रहा है। वहीं दूसरी और लीथियम आयन बैटरी की जगह अब अन्य बैटरियां भी तेजी से बन रही हैं, जिससे लीथियम आयन बैटरी की कीमतों में भी गिरावट देखि जा रही है।

2-3 साल में पेट्रोल दोपहिया के बराबर हो सकती है इसकी कीमत:

दरअसल अभी तक आम लोगों को इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए रेगुलर पैट्रॉल वाहनों से ज्यादा पैसा चुकाना पड़ रहा था। लेकिन अब इससे यह रास्ता भी साफ़ होता हुआ दिखाई दे रहा है की आने वाले समय में इलेक्ट्रिक और पैट्रॉल वाहनों के प्राइस में बड़ा अंतर देखने को नहीं मिलेगा। दरअसल अभी इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी करीब 5% है। जो 2-3 साल में कई गुना बढ़ जाएगी। जिससे इसकी कीमतें भी घटकर पेट्रोल दोपहिया के करीब आ सकती हैं।