Dog Temples: भारत के इन मंदिरों में होती है डॉग्स की पूजा, हैरान कर देगी रोचक कहानियां और इतिहास

Diksha Bhanupriy
Published on -
Dog Temples

Dog Temple India: भारत एक ऐसा देश है जहां पर देवी-देवताओं के कई सारे मंदिर मौजूद है। देवी देवताओं को पूजे जाने की मान्यता यहां पर बहुत पुराने समय से चली आ रही है। जब आपको यह पता चले कि यहां पर देवी-देवताओं के साथ कुत्ते की पूजा भी की जाती है तो निश्चित तौर पर इसे जानकर कोई भी हैरान हो जाएगा। यह आस्था से जुड़ा हुआ मामला है लेकिन देश के लोगों की आस्था इस जानवर के प्रति भी जुड़ी हुई है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर देखा जाए तो घरों में भी गाय के साथ कुत्ते की रोटी निकालने का प्रचलन प्राचीन समय से चला रहा है। ऐसे में अगर कुछ जगहों पर इनकी पूजा की जाती है तो वह वाकई में एक अद्भुत बात है। देश में कुत्ते से जुड़े सिर्फ एक नहीं बल्कि कई मंदिर है जिनसे कुछ रोचक कहानियां भी जुड़ी हुई है। आज हम आपको इन्हीं के बारे में जानकारी देते है।

ये है फेमस Dog Temples

कुत्ते की कब्र

बुलंदशहर से 15 किलोमीटर दूर मौजूद सिकंदराबाद में 100 साल पुराना एक मंदिर स्थित है जहां पर कुत्ते की कब्र की पूजा की जाती है। होली और दीपावली पर यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है। नवरात्रि में भी यहां पर भंडारा रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यहां आया जो भी व्यक्ति कोई मन्नत मांगता है वह पूरी हो जाती है।

पुरानी कहानियों के मुताबिक यहां पर लटूरिया नामक एक बाबा रहा करते थे। बाबा के पास कई सिद्धियां थी लेकिन उन्हें अपनी आंखों से दिखाई नहीं देता था। उन्हें जिस भी चीज की जरूरत होती यह कुत्ता उन्हें दे दिया करता था। ये कुत्ता इतना ज्यादा समझदार था कि बाबा उसके गले में थैली डालकर बाजार भेज दिया करते थे और वह सामान लेकर आ जाया करता था।

Dog Temples

100 साल पहले जब बाबा ने समाधि ली तो यह कुत्ता भी उनके साथ कूद गया। लोगों ने इसे एक दो बार बाहर निकाला लेकिन यह नहीं माना और इसने खाना पीना छोड़ दिया। लटूरिया बाबा ने अपने प्राण त्याग के वक्त कहा था कि अगर भविष्य में मेरी पूजा होगी तो उसके पहले उस कुत्ते की पूजा की जाएगी।

तभी से यहां पर पूजा का ये क्रम शुरू हुआ और मान्यताओं के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि अगर इस कुत्ते की मूर्ति के पैर में काला धागा बांधा जाता है और कोई मनोकामना मांगी जाती है तो वह जरूर पूरी होती।

भैरव मंदिर चिपियाना

गाजियाबाद में पड़ने वाला चिपियाना गांव अपने आप में एक अलग ही मान्यता रखता है। यहां बनी हुई कुत्ते की समाधि पर लोग पूजन अर्चन करने के लिए पहुंचते हैं। यहां से कुछ मान्यताएं भी जुड़ी हुई है।

कुत्ते की समाधि के पास एक हौदी भी बनी हुई है। कहा जाता है कि इस में नहाने से रैबीज की बीमारी, फुंसी फोड़े और बंदर के काटने जैसी समस्या से छुटकारा मिल जाता है। यहां जो प्रतिमा बनी हुई है उस पर लोग प्रसाद चढ़ाते हैं और एक दूसरे को बांटते हैं।

Dog Temples

बताया जाता है कि यह काल भैरव बाबा की सवारी का कुत्ता है। इसकी कहानी एक लक्खा नाम के बंजारे से जुड़ी हुई है जिसने इस मंदिर में समाधि का निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि बंजारे ने एक सेठ से कर्ज लिया था जिसे वह चुका नहीं पाया और उसने अपना कुत्ता सेठ के पास गिरवी रखा। एक दिन जब सेठ के घर में चोरी हुई तो कुत्ते ने ना ही उसे जगाया और ना ही भौंका और चोर सारा सामान ले गए।

अगली सुबह ये सब देखकर सेठ को गुस्सा आ गया और कुछ देर बाद कुत्ता उन्हें इस जगह पर ले गया जहां चोरों ने सारा सामान छुपाकर रखा हुआ था। सेठ ने कुत्ते को वापस लक्खा के पास भेज दिया लेकिन उसे लगा कि ये वचन तोड़ कर आया है और उसने उसे गोली मार दी। लेकिन सेठ से सच्चाई पता पड़ने पर वो हैरान हो गया और उसने भैरव बाबा के इस मंदिर में ये समाधि बनवाई जिससे कई मान्यताएं जुड़ी हुई है।

चिन्नपटना मंदिर

कर्नाटक के रामनगर गांव में पड़ने वाले चिन्नपटना गांव कुत्तों का मंदिर बना हुआ है। स्थानीय लोगों में प्रचलित मान्यता के मुताबिक कुत्ते में अपने मालिक के परिवार को किसी भी विपत्ति से बचाने के लिए प्राकृतिक शक्तियां मौजूद होती है। यही वजह है कि इस मंदिर को पालतू जानवरों को समर्पित किया गया है।

Dog Temples

इस मंदिर में कुत्तों की दो मूर्ति स्थापित की गई है जिन की रात दिन पूजा की जाती है। यहां एक मूर्ति का रंग सफेद है और दूसरी भूरे रंग की है जिनपर नित्य माला चढ़कर पूजा की जाती है। साल 2010 में इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था इसके पीछे कोई खास वजह नहीं थी बस मनुष्य के प्रति कुत्तों की वफादारी का सम्मान करने के लिए इसका निर्माण किया गया है।

कुतिया महारानी मंदिर

झांसी से 65 किलोमीटर दूर मऊरानीपुर कस्बे के रेवन गांव में सड़क किनारे एक मंदिर बना हुआ है। ये देख कर कोई भी हैरान हो जाएगा क्योंकि यहां पर भगवान की नहीं बल्कि कुतिया की प्रतिमा स्थापित की गई है। यहां लोग जल चढ़ाने के लिए आते हैं और ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो इस मंदिर पर अपना सिर नहीं झुकाता है। इस मंदिर को धैर्य का प्रतीक माना जाता है।

Dog Temples

जानकारी के मुताबिक यह कुतिया लंबे समय से रेवन और ककवारा गांव में रहती थी और जहां भी कुछ कार्यक्रम होता यह वहां खाना खाने के लिए जाती थी और लोग इसे बड़े प्यार से खाना खिलाते थे। एक बार दोनों गांव में कार्यक्रम था लेकिन जब तक ये एक से दूसरी जगह पहुंची पंगत खत्म हो गई। वो बीमार थी इसलिए उसने दोनों गांवों के बीच दम तोड़ दिया।

लोगों ने उसी जगह पर कुतिया को दफना दिया और ये जगह अपने आप पत्थर में परिवर्तित हो गई। ये चमत्कार देख लोगों ने यहां मंदिर बना दिया और कुछ समय पहले यहां मूर्ति की स्थापना भी कर दी गई। कुतिया देवी के नाम से ये मंदिर पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है और लोगों की आस्था का केंद्र है।


About Author
Diksha Bhanupriy

Diksha Bhanupriy

"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Other Latest News