Employees Family Pension : कर्मचारियों के आश्रितों के लिए राज्य सरकार की कैबिनेट में बड़ा फैसला लिया गया है। हजारों आश्रितों को इसका लैब मिलेगा। उन्हें पारिवारिक पेंशन की सुविधा दी जाएगी। राज्य की कैबिनेट बैठक में सोमवार को इस पर मुहर लगाया गया है। यह पेंशन अविवाहित महिलाओं-पुत्रियों की तर्ज पर उन्हें दिया जाएगा।
उड़ीसा की पटनायक सरकार द्वारा ट्रांसजेंडर को भी पारिवारिक पेंशन देने की घोषणा की गई है। कैबिनेट बैठक में इस पर मुहर लग गई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के मंत्रिमंडल द्वारा ट्रांसजेंडर को भी पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा। बैठक में एससी महापात्रा ने कहा कि राज्य सरकार को 2020 के वित्तीय वर्ष के अनुमानित बजट पर भी मंजूरी मिल गई है। लाभार्थियों के रूप में ट्रांसजेंडर को भी पारिवारिक पेंशन से जोड़ने का फैसला किया गया है। राज्य में उड़ीसा सिविल सेवा नियम 1992 में भी संशोधन किया जाएगा।
यह होंगे नियम
वही सरकारी कर्मचारी होने वाले माता-पिता की मृत्यु के मामले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को अविवाहित बेटियों की तरह ही पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। 10 जनवरी 2022 को उसके बाद मरने वाले शासकीय कर्मचारी पेंशन भोगी के ट्रांसजेंटर बच्चे को अविवाहित बेटी माना जाएगा और कोई अन्य बड़ी अविवाहित पुत्री नहीं होने की स्थिति में उन्हें पेंशन की पात्रता होगी।
कोर्ट ने दिए थे निर्देश
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट और उड़ीसा हाई कोर्ट द्वारा भी कई मामले में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को बेटियों के समान मानते हुए पेंशन के भुगतान करने के निर्देश दिए गए थे। हालांकि इससे पहले पेंशन नियम में बच्चे की परिभाषा में ट्रांसजेंडर शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
कॉन्ट्रैक्ट भर्ती प्रक्रिया समाप्त
बता दें कि इससे पहले उड़ीसा की नवीन पटनायक सरकार द्वारा कई बड़े फैसले लिए गए हैं। अक्टूबर 2022 में दिवाली से पहले राज्य में कॉन्ट्रैक्ट भर्ती प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया था वहीं अब उड़ीसा में होने वाली सभी भर्तियां नियमित तौर पर की जाती है। इसके अलावा 57000 अस्थाई कर्मचारियों को परमानेंट करने का भी फैसला लिया गया था। अब शासकीय कर्मचारी के आश्रितों ट्रांसजेंडर बच्चों को भी पारिवारिक पेंशन का लाभ दिया जाएगा।
कोर्ट का फैसला
इससे पूर्व उच्च न्यायालय ने पिछले साल मई में राज्य को पेंशनभोगी मां की मृत्यु के बाद एक ट्रांसजेंडर को पारिवारिक पेंशन देने का निर्देश दिया था। जिसपर ट्रांसजेंडर और सामाजिक कार्यकर्ता मीरा परिदा ने सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह एक बहुत जरूरी कदम है। “मुआवजे के लिए नियमों की कमी के कारण कई ट्रांसजेंडर पीड़ित थे। यह उनके लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा।