हिमाचल में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना को लेकर कयास तेज हो गए हैं। कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने की घोषणा की गई थी। हालांकि इस घोषणा को लागू करना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी।
इन राज्यों में पुरानी पेंशन योजना
बता दें कि कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बंद कर दिया गया है। हालांकि सरकार द्वारा एनपीएस लागू होने के बाद कई राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को स्विच किया गया है। जिसमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ के अलावा झारखंड और पंजाब शामिल है। इसके अलावा भी कई राज्यों में कर्मचारियों द्वारा पुरानी पेंशन योजना की मांग की जा रही है।
पुरानी पेंशन योजना लागू करना बड़ी चुनौती
हिमाचल में पुरानी पेंशन योजना लागू करने के बाद राज्य सरकार को वित्तीय प्रबंधन करना मुश्किल हो सकता है। दरअसल राज्य सरकार के ऊपर पहले से ही करीब 70 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके अलावा सितंबर 2022 में हिमाचल सरकार द्वारा आरबीआई से 2500 करोड़ का कर्ज लिया गया था। ऐसे में राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
नीति आयोग ने भी अपने एक महत्वपूर्ण बयान में कहा था कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से अर्थव्यवस्था पर इसके खतरनाक परिणाम देखने को मिलेंगे। ऐसी स्थिति में कई कांग्रेसी राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना की तरफ से स्विच करना वित्तीय संकट बढ़ा सकता है।
पुरानी पेंशन योजना का लाभ
पुरानी पेंशन योजना के बाद सेवानिवृत्ति कर्मचारी को अपने अंतिम सैलरी और महंगाई राहत के 50% और सेवा के पिछले 10 महीने की औसत कमाई में जो भी अधिक हो, उसे पेंशन के रूप में उपलब्ध कराया जाता है। शासकीय कर्मचारी को पुरानी पेंशन योजना में सामान्य भविष्य निधि का भी प्रावधान किया गया था।
नई पेंशन योजना
जबकि नई पेंशन योजना के तहत एक निश्चित पेंशन राशि का भुगतान किया जाता है। नई पेंशन स्कीम एक अंशदाई पेंशन योजना है। जिसमें कर्मचारी के वेतन और महंगाई भत्ते का 10% योगदान करते हैं सरकार द्वारा 14% का योगदान किया जाता है। इसकी कुल राशि पीएफआरडीए में जमा की जाती है। इसे इक्विटी और डेट मार्केट में निवेश किया जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों के 60% राशि को कर मुक्त रखा गया जबकि बाकी पर 1 वर्ष में निवेश करने के लिए इसे पूरी तरह से कर योग्य बनाया गया है।
डीए एरियर का भुगतान
इसके अलावा सातवें वेतन मान को लागू करने के बाद राज्य सरकार द्वारा कर्मचारियों को डीए एरियर का भुगतान किया जाना है। जिसके बाद में निसंदेह पुरानी पेंशन योजना लागू करना राज्य सरकार के लिए आसान नहीं होगा।