देश, डेस्क रिपोर्ट। आज हरियाली अमावस्या का पर्व है। देशभर में आज हरियाली अमावस्या के अवसर पर पितरों को याद कर उनके निमित्त दान-पुण्य करने का विशेष महत्तव है साथ ही इस अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करने से शुभ माना जाता है। इस वर्ष 8 अगस्त को हरियाली अमावस्या मनाई जा रही है। पुराणों में हरियाली अमावस्या को पर्यावरण संरक्षण के रूप में मनाने की परंपरा है। इस दिन वृक्षारोपण से ग्रह दोष शांत होते हैं। इस मौके पर पितृ तर्पण करना, पिंडदान करना और श्राद्ध कर्म करने से फलस्वरूप बहुत शुभ माना जाता है।
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शास्त्रों और पुराणों में इस अमावस्या पर व्रत करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। आपको बता दें सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को श्रावण अमावस्या या हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर पितरों के नाम से कुछ पौधे भी लगाए जाते हैं। श्रावणी अमावस्या प्रकृति देवी की आराधना का पर्व है और मान्यता है कि वृक्षों में देवी-देवताओं का वास होता है इसलिए इस दिन पौधा लगाना शुभ माना गया है। इस दिन पीपल, बरगद, केला और तुलसी के पौधे लगाना सबसे अच्छा माना जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान कर, पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, श्राद्धकर्म करवाया जाए तो पितरों को शांति मिलती है। यह करने के बाद पितरों के नाम से गरीबों को भोजन करवाएं, गाय को चारा खिलाएं, गरीबों को वस्त्र आदि भेंट करना चाहिए।
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सावन मास में हरियाली अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से दंपत्ति जीवन में प्रेम और सौहार्द बना रहता है साथ ही घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है। इस दिन भगवा शिव-पार्वती पर विशेष पूजा अर्चना कर उन्हें सफेद फूल चढ़ाना चाहिए और माता पार्वती को 16 श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करना चाहिए। इस दिन भगवान शिव-पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।