Bombay high court: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शनिवार को तांत्रिक के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कई अहम् बातें सामने राखी है। इस दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट का कहना है कि कई तांत्रिक ज्यादातर लोगों की कमजोरी और अंधविश्वास का फायदा उठाने लगते हैं, और इसके नाम पर लोगों का शोषण करते हैं। इन तांत्रिकों ने समस्या सुलझाने की आड़ में न सिर्फ पैसे लीए हैं, बल्कि कई बार पीड़ितों का यौन उत्पीड़न भी किया है।
छह नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न
दरअसल शनिवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक तांत्रिक को छह नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न मामले में दोषी ठहराया और उसे सजा देने का फैसला किया। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस मंजूषा देशपांडे की बेंच ने मामले की सुनवाई की थी। इस 45 साल के तांत्रिक ने इलाज के नाम पर दिमागी रूप से कमजोर लड़कियों के साथ यौन शोषण किया था। इतना ही नहीं तांत्रिक द्वारा लड़कियों के माता-पिता से उन्हें ठीक करने की आड़ में 1.30 करोड़ रुपए ऐंठ लिए थे।
तांत्रिक के खिलाफ FIR 2010 में दर्ज हुई थी:
दअसल 2010 में इस मामले में FIR दर्ज की गई थी, और 2016 में तांत्रिक को एक सेशन कोर्ट ने दोषी ठहराया था। जिसक बाद उसे आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई गई थी। लेकिन इसके खिलाफ तांत्रिक द्वारा बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती याचिका दायर की गई थी, हालांकि हाई कोर्ट ने भी उसकी याचिका को खारिज करते हुए दोषी की सजा को बरकरार रखा।
हाई कोर्ट ने कहा- यह एक विचित्र मामला:
हाई कोर्ट ने पिछले महीने अपना फैसला सुनाया था, लेकिन इसमें शनिवार (2 मार्च) को अब कोर्ट का जजमेंट भी सामने आया है जिसमे कोर्ट का कहना है की “यह अंधविश्वास का एक विचित्र मामला है। तांत्रिक के खिलाफ ठोस सबूत हैं और पीड़ितों की संख्या भी ज्यादा है, जिससे उसकी सजा भी अपराध के अनुरूप होनी चाहिए।”