हाई कोर्ट का अहम फैसला, कर्मचारियों को दी बड़ी राहत, 4 हफ्तों में मांगा जवाब, अनुकंपा नियुक्ति पर अपडेट

Pooja Khodani
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प्रयागराज, डेस्क रिपोर्ट। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में कर्मचारी के निलंबन और अनुकंपा नियुक्ति मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी कर्मचारी को 3 महीने से ज्यादा समय तक निलंबित नहीं रखा जा सकता, इस आदेश के साथ ही हाई कोर्ट ने पुलिस इंस्पेक्टर के निलंबन पर रोक लगा दी। यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने पुलिस इंस्पेक्टर केशव वर्मा की याचिका पर पारित किया है।

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पूरा मामला प्रयागराज के थाना हंडिया में तैनात पुलिस इंस्पेक्टर केशव वर्मा से जुड़ा है। इस साल 11 अप्रैल को उन्हें निलंबित कर दिया गया था और करीब 3 महीने होने के बाद भी विभागीय चार्जशीट नहीं दी गई थी। याची इंस्पेक्टर को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील नियमावली) 1991 के नियम 17 (1) (क) के प्रावधानों के अंतर्गत निलंबित कर दिया गया था। निलंबित कर इंस्पेक्टर को पुलिस लाइन प्रयागराज में संबद्ध कर दिया गया था।

इंस्पेक्टर की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम व अतिप्रिया गौतम का तर्क था कि निलंबन आदेश नियम एवं कानून के विरुद्ध है। निलंबन आदेश पारित हुए तीन माह से ज्यादा समय व्यतीत हो चुका है, परंतु विभाग ने अभी तक याची को कोई विभागीय जांच की चार्जशीट नहीं दी है। कहा गया कि इस प्रकार यह निलंबन आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी के प्रकरण में दी गई विधि व्यवस्था के विरुद्ध है एवं निरस्त किए जाने योग्य है।सुनवाई के बाद इंस्पेक्टर के निलंबन पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगाते हुए हाई कोर्ट ने प्रयागराज एसएसपी से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है।

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वही अनुकंपा नियुक्ति मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक कर्मचारी को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि मृतक आश्रित नियमावली के तहत मृत कर्मचारी के आश्रित को उस पद पर नियुक्ति का अधिकार है, जिस पद पर मृतक कर्मचारी कार्य करता रहा है, बशर्ते आश्रित उस पद के लिए सभी योग्यताएं रखता हो।यह आदेश न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान ने आगरा के अभिषेक मिश्र की याचिका पर दिया है।

याची के अधिवक्ता ने सुनील कुमार वर्सेस स्टेट ऑफ यूपी में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि याची उसी पद पर नियुक्ति पाने का अधिकार रखता है, जिस पद पर उसके पिता कार्यरत थे क्योंकि वह उस पद के लिए जरूरी योग्यता रखता है।इसी के साथ कोर्ट ने जिला न्यायालय आगरा में कार्यरत निजी सहायक के आश्रित को तृतीय श्रेणी के पद पर उसकी योग्यता अनुसार नियुक्ति देने का निर्देश दिया है।

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