कैसे पहचानें हमारे साथ हो रहा है Digital Arrest Scam? AI की मदद से किए जा रहे इस स्कैम से अपने आप को रखें सुरक्षित

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के इस समय में डिजिटल अरेस्ट स्कैम को पहचानना लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है। साइबर अपराधी इस नए तरीके से लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। आज इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे डिजिटल अरेस्ट स्कैम को पहचाना जा सकता है।

Rishabh Namdev
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आज के समय में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम का यह नया तरीका लोगों के लिए नई परेशानी बन रहा है। फर्जी अधिकारियों द्वारा डरा धमका कर ठगी करने का यह तरीका अब तेजी से बढ़ रहा है। Artificial intelligence के इस समय में लोगों के लिए यह पहचानना काफी मुश्किल हो गया है, कि वह फर्जी अधिकारी या साइबर अपराधी के जाल में फंस रहे हैं।

आज इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे डिजिटल अरेस्ट स्कैम को पहचाना जा सकता है और डिजिटल अरेस्ट स्कैम होता क्या है? वहीं इससे बचने के उपाय क्या-क्या है? चलिए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी।

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डिजिटल अरेस्ट स्कैम क्या होता है?

इसके लिए सबसे पहले हमें डिजिटल अरेस्ट स्कैम को समझना होगा। दरअसल साइबर क्राइम का यह नया तरीका लोगों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। साइबर अपराधी द्वारा पीड़ितों को कॉल, ईमेल या मैसेज के जरिए संपर्क किया जाता है और फिर उन पर कानूनी मामला दर्ज या गिरफ्तारी का दबाव बनाया जाता है। इसके साथ ही उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया जाता है। साइबर अपराधियों द्वारा गिरफ्तारी वारंटी या कोर्ट का समन भेजने की चेतावनी दी जाती है और लोगों को डराया जाता है। इसके बाद लोग इस डर के चलते इन्हें पैसों का भुगतान कर देते हैं।

कैसे पहचान सकते हैं डिजिटल अरेस्ट स्कैम?

अब हम समझते हैं कि AI की मदद से किए जा रहे ऐसे डिजिटल स्कैम को कैसे पहचाना जा सकता है। दरअसल जब भी कॉल पर बात की जाती है तो अपराधी AI की मदद से अपनी आवाज को बदल लेता है। याद रहे कि AI की आवाज बोलचाल की आवाज से थोड़ी अलग होती है। AI की आवाज ज्यादा टेक्निकल और डराने वाली होती है। इसमें Bass ज्यादा होता है, जिससे यह आवाज गहरी होती है। ताकि लोगों में डर पैदा हो सके।

इसके साथ ही फर्जी दस्तावेज बनाए जाते हैं। फर्जी दस्तावेज के नंबर अलग हो सकते हैं। कोर्ट द्वारा भेजा गया समन भी नकली होता है। ऐसे में इन दस्तावेजों की पहचान करना जरूरी हो जाता है। दस्तावेजों की पहचान करने के लिए आप सरकारी वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकते हैं। दरअसल सरकार द्वारा बनाए गए डेटाबेस पर सरकारी दस्तावेज उपलब्ध होते हैं। ऐसे में इसकी प्रामाणिकता की जांच की जा सकती है। इसके साथ ही दस्तावेज पर हस्ताक्षर से भी इसकी पहचान की जा सकती है। आमतौर पर जाली हस्ताक्षर हल्के धुंधले नजर आते हैं। इसके साथ ही सरकार का Logo भी धुंधला दिखाई दे सकता है।

वही आमतौर पर साइबर अपराधी कॉल करने के लिए जिन नंबरों का प्रयोग करते हैं। वह प्राइवेट नंबर हो सकता हैं, जिन नंबरों से कॉल की जाती है वह आमतौर पर 12 या अन्य सीरीज से शुरू हो सकते हैं। ऐसे में अनजान नंबरों से कॉल आने पर आप पहचान सकते हैं कि यह स्कैमर्स हो सकते हैं।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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