PM के मन की बात मे शहडोल, इस अधिकारी ने बदली पिछङे संभाग की तस्वीर

Gaurav Sharma
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Rajeev Sharma IAS : कहते हैं इंसान अगर चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता है, पहाड़ पर पेड़ उगा सकता है, हर असंभव काम को संभव कर सकता है। लेकिन यह सब करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण चीज उस इंसान के अंदर मौजूद होना चाहिए वह है ऐसा करने की भावना। कुछ लोग होते हैं जिनके अंदर कुछ कर गुजरने की भावना तो होती है लेकिन परिस्थितियां प्रतिकूल होती है और कुछ लोग होते हैं जिनकी परिस्थितियां अनुकूल होती हैं लेकिन कुछ कर गुजरने की भावना नहीं होती है।

पर क्या हो जब आपके अंदर दूसरों के लिए कुछ कर गुजरने की भावना भी हो और परिस्थितियां भी अनुकूल हो। जब ऐसा होता है तो आपके काम की सराहना आपके देश का प्रधानमंत्री 140 करोड़ देशवासियों के सामने करता है।

हम बात कर रहे हैं शहडोल संभाग में मौजूद ग्राम बिचारपूर की जिसके कसीदे आज देश के प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात में पढ़े। जिस गांव को पीएम मोदी ने Mini Brazil का तमगा दिया। जिस गांव को पीएम मोदी ने फुटबॉल की प्रतिभाओं को नर्सरी का दर्जा दिया।

लेकिन आखिर कैसे एक संभाग जिसे प्रदेश ही नहीं पूरे देश में पिछड़ा, आदिवासी और नशायुक्त कहा जाता था उस संभाग के एक गांव की तारीफ़ कर उस गांव को प्रेरणा के रूप में प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में लोगों के सामने प्रेषित किया? कैसे यह इलाका पुरानी मान्यताओं की बेड़ियों को तोड़कर देश के पटल पर अपना नाम बना पाया? इसके पीछे जिस इंसान ने दिन रात मेहनत कर संभाग हो इस मुकाम तक पहुंचाया उसका नाम है राजीव शर्मा।

आपको बता दें IAS राजीव शर्मा वर्तमान में शहडोल संभाग के संभायुक्त हैं। उन्हें यह जिम्मेदारी लगभग दो वर्ष पूर्व मिली थी। कभी नर्मदा किनारे पदयात्रा कर नदी किनारे बसे लोगों के साथ रात बिताने की बात करें, या संभाग के मृत कुओं और नलकूपों को जिंदा कर ज़मीनी जलस्तर बढ़ाने की बात करें या बात करें मिनी ब्राजील बिचारपुर की, इन सभी बातों के ज़िक्र में जिस शख्स का नाम जोड़े बिना यह बातें अधूरी रहेंगी वह शख्स हैं राजीव शर्मा।

शर्मा ने दो वर्ष पूर्व जब संभागायुक्त के रूप में शहडोल की ज़िम्मेदारी संभाली थी। 

राजीव ने इस गांव में फुटबाल क्रांति अभियान चलाया जिसके बाद संभाग की सभी पंचायतों में 1 हजार से ज्यादा फुटबाल क्लब बने। इसी बीच बिचारपुर गांव जिसे फुटबाल की नर्सरी कहा जाता है वहां राज्य शासन द्वारा फुटबाल अकादमी स्थापित की गई जिसको लेकर शर्मा ने फुटबॉल क्रांति के हर संभव मदद देने आश्वासन दिया था।

जब पीएम मोदी ने इस गांव का दौरा किया तब उन्हें आश्चर्य हुआ की कैसे किसी गांव के हर घर में एक फुटबाल खिलाड़ी हो सकता है। उन्होंने आदिवासी फुटबाल खिलाड़ियों के साथ 100 कप्तानों से भी मुलाकात की और खिलाड़ियों से कहा “जो खेलता है वही खिलता है”। साथ ही मोदी ने इन खिलाड़ियों से वादा किया की आप लोगों का जिक्र में मन की बात कार्यक्रम में अवश्य करूंगा।

निश्चित तौर पर किसी गांव में जलस्तर को बढ़ाना, किसी गांव में पिछड़े वर्ग के खिलाड़ियों को उच्चस्तर की सुविधा पहुंचाना एक इंसान के बस की बात नहीं है, इसके लिए शासन, प्रशासन और आमजन सभी का योगदान महत्वपूर्ण होता है। लेकिन किसी भी बड़े काम को सफल बनाने की लगन, जज़्बा और नियत जिस एक इंसान से शुरू होती है शहडोल संभाग के उस शख्स का नाम है IAS राजीव शर्मा।

कौन है IAS राजीव शर्मा

एमपी कैडर 2003 बैच के IAS राजीव शर्मा की ईमानदारी, क्षमताओं और कर्तव्यनिष्ठा का शायद ही कोई मुरीद न हो। चंबल संभाग के भिंड जिले में पैदा हुए राजीव को बचपन से ही पढ़ने और कविताएं लिखने का बेहद शौक रहा है। उनका कहना है कि उन्हें यह कला अपने दादाजी से विरासत में मिली है। बचपन से कविताएं लिखते हुए राजीव ने अपनी इस कला से कॉलेज में भी सभी को अपना मुरीद कर लिया।

लिखने की कला में निपुण राजीव ने वर्ष 1999 में अपनी पहली कविताओं की किताब लिखी जिसका नाम था उम्र की इक्कीस गलियां, इसके बाद वर्ष 2000 में धूप के ग्लेशियर और 2008 में प्रिज्म का प्रकाशन हुआ।

विरोधी सन्यासी, अद्भुत सन्यासी नाम की शर्मा की नॉवेल भी पाठकों द्वारा बेहद पसंद की गईं। विरोधी सन्यासी के लिए उन्हें अवार्ड से भी नवाजा गया।

उनके द्वारा लिखी गई किताब “The SDM” अभी हाल ही में काफी चर्चित रही। इस किताब में शर्मा ने एसडीएम की भूमिकाएं, कर्तव्य और अधिकार के बारे में उन पहलुओं को मद्देनजर रख लिखा जिनकी वजह से उन्हें एसडीएम के तौर पर खुद परेशानी का सामना करना पड़ा था। उन्होंने बताया यह किताब एक एसडीएम के लिए उसके बहुमुखी और विस्तृत दायत्व का निर्वहन करने में मददगार साबित होगी।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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