भारत-चीन की साझेदारी से चन्द्रमा पर न्यूक्लियर रिएक्टर! रूस करेगा नेतृत्व

Nuclear Power Plant: भारत और चीन मिलकर चंद्रमा पर न्यूक्लियर रिएक्टर बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें रूस प्रमुख भूमिका निभाएगा। इस साझेदारी का उद्देश्य चंद्रमा पर ऊर्जा उत्पादन को मजबूत करना है।

भावना चौबे
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Nuclear Power Plant: चंद्रमा पर मानव बेस स्थापित करने की होड़ में दुनिया की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियां जुट गई हैं। यह स्थिति कोल्ड वॉर के दौरान अमेरिका और रूस के बीच हुई अंतरिक्ष दौड़ की याद दिलाती है। रूस अपने बेस के लिए बिजली का नया स्रोत ढूंढ रहा है और इसलिए उसने वहां एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है।

रूस के परमाणु ऊर्जा निगम रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिखाचेव के अनुसार भारत और चीन इस परियोजना में गहरी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यह सभी देश मिलकर चंद्रमा पर एक स्थायी उपस्थिति स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।

2040 तक मानव मिशन

भारत के लिए चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का रूसी प्रोजेक्ट अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में साल 2040 तक चंद्रमा पर मानव मिशन भेजने का लक्ष्य तय कर रखा है। इस परियोजना से भारत को चंद्रमा पर लंबे समय तक मौजूदगी स्थापित करने में मदद मिलेगी। चीन के साथ इस परियोजना में सहयोग करने वाला अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को बढ़ाएगा और साथ ही अंतरिक्ष राजनीति में अपनी भूमिका को भी मजबूत करेगा।

भारत अमेरिका और रूस दोनों के साथ मधुर संबंध रखता है और इस प्रोजेक्ट के माध्यम से इन संबंधों को और मजबूत करने का प्रयास करेगा। गगनयान मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन यानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजना और साथ ही रूस के इस प्रोजेक्ट में चीन के साथ सहयोग करना भारत की बहुमुखी अंतरिक्ष नीति को दर्शाता है।

चंद्रमा पर परमाणु रिएक्टर

रूस द्वारा चंद्रमा पर स्थापित किया जाने वाला परमाणु रिएक्टर एक अत्यंत जटिल तकनीकी उपलब्धि होगी। आपको बता दे, इस रिएक्टर के निर्माण में साइंटिस्ट सीधे तौर पर शामिल नहीं होंगे बल्कि पूरा काम ऑटोनॉमसली होगा। चीन और रूस ने साल 2021 में चंद्रमा पर संयुक्त रूप से एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान स्टेशन स्थापित करने की घोषणा की थी।

इस परियोजना का नाम अंतरराष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन यानी इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन (ILRS) रखा गया है। इस मानव बेस का निर्माण 2035 से 2045 के बीच शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस परियोजना के तहत यह परमाणु रिएक्टर चंद्रमा पर मानव बेस को ऊर्जा प्रदान करेगा और वहां वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण आधार होगा।

 


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भावना चौबे

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