International Cheetah Day : क्या आप जानते हैं चीते की इन विशेषताओं के बारे में? आखिर क्यों है इसके संरक्षण की जरूरत? पढ़ें पूरी खबर

Atul Saxena
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International Cheetah Day 2203 : 4 दिसंबर का दिन उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्व है जो पशु पक्षियों , वन्य जीवों से बहुत प्रेम करते हैं खासकर चीता से प्यार करने वालों के लिए ये दिन किसी उत्सव से कम नहीं है इस दिन वे सबसे बड़ी बिल्ली और दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले वन्यजीव चीता के संरक्षण के संकल्प को फिर दोहराते है, इस खूबसूरत जीव के जीवित रहने के लिए प्रार्थना करते हैं, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अंतरराष्ट्रीय  चीता दिवस की बधाई दी है …आइये आपको चीता की विशेषताएं और इस दिन को मनाने के पीछे की कहानी की जानकारी देते हैं …

इसलिए मनाते हैं अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस 

हर साल पूरी दुनिया में 4 दिसंबर को अंतर राष्ट्रीय चीता दिवस मनाया जाता है, ये दिन दुनिया के लोगों को इस वन्यजीव के संरक्षण के लिए प्रेरित करने का दिन होता है, अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस की शुरुआत करने का श्रेय अमेरिकी प्राणी विज्ञानी डॉ लॉरी मार्कर को जाता है , उन्होंने 1991  में चीता संरक्षण कोष (Cheetah Conservation Fund) की स्थापना की और फिर उन्होंने ही 2010 में 4 दिसंबर के दिन को चुनकर अंतर राष्ट्रीय चीता दिवस मनाने क सुझाव दिया, तभी से ये परंपरा चली आ रही है।

ये है चीता से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी 

  • चीता बिल्लियों की सबसे पुरानी प्रजातियों में से एक है कहा जाता है कि ये पांच मिलियन वर्ष से अधिक पुरानी प्रजाति (मियोसीन युग) का वन्य जीव है।
  • चीता दुनिया की सबसे बड़ी बिल्ली है, ये दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है, चीता केवल तीन सेकण्ड में 112  किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ़्तार तक पहुँच सकता है।
  • नामीबिया में चीतों की सबसे ज्यादा आबादी है , दक्षिण अफ्रीका में भी चीता पाया जाता है।
  • भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1952 में देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था।
  • अधिकांश देशों में चीता विलुप्ति की कगार पर है , उत्तर पश्चिमी अफ़्रीकी और एशियाई चीतों को छोड़कर सभी चीता उप प्रजातियों को IUCN ने विलुप्ति की श्रेणी में रखा है।

70 साल बाद मप्र में शुरू हुआ चीता का नया युग, पीएम मोदी ने की शुरुआत

  • भारत में 70 साल बाद फिर चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई और पीएम मोदी ने अपने जन्मदिन पर 17 सितंबर 2022 को मप्र के कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आये 8 चीतों को बाड़े में छोड़कर एक नई शुरुआत की थी।
  • मप्र में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत 8 नामीबियाई से आये चीतों के साथ 17 सितंबर 2022 को हुई उसके बाद 18 फरवरी 2023  को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते आये जिन्हें भी कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया।
  • कूनो नेशनल पार्क में एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म देकर इनका कुनबा बढ़ा दिया था।
  • कुछ दिनों बाद एक एक कर यहाँ 9 चीतों की मौत हो गई इसमें बीमारियाँ और मेटिंग के दौरान संघर्ष की बातें सामने आई।
  • अब कूनो नेशनल पार्क में 14 बड़े चीते और एक शावक हैं जीवित हैं जो स्वस्थ हैं।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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