कल से एक बार फिर सैलानियों के लिए खुल जाएगा काजीरंगा नेशनल पार्क, जीप सफारी का ले सकेंगे आनंद

Shashank Baranwal
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 Kaziranga National Park

Kaziranga National Park: सैलानियों को एक खुश कर देने वाली खबर सामने आई है। 15 अक्टूर 2023 से एक बार फिर काजीरंगा नेशनल पार्क को सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा। इस पार्क में एक सींग वाला गैंडा पाया जाता है। जो कि इस पार्क को ज्यादा आकर्षक बनाता है। यह पार्क असम राज्य का सबसे पुराना पार्क है। जो गोलाघाट, सोनितपुर और नगांव जिले में स्थित है।

मई से अक्टूबर के बीच बंद रहता है पार्क

काजीरंगा नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व को ब्रह्म पुत्र नदी में बाढ़ आने की वजह से मई से अक्टूबर के बीच बंद कर दिया जाता है। इस पार्क में सैलानी कई प्रकार के पक्षियों और जानवरों का दीदार करते हैं। आपको बता दें खराब मौसम की वजह से सड़क की वर्तमान हालात को देखते हुए काजीरंगा नेशनल पार्क के सिर्फ दो रेंजों को आंशिक रुप से खोला गया है। जिनमें कोहोरा, काजीरंगा रेंज और बागोरी, पश्चिमी रेंज को जीप सवारी के लिए खोला गया है। वहीं ये दोनों रेंज हर बुधवार को बंद रहेगें।

430 वर्ग किलोमीटर में फैला है काजीरंगा नेशनल पार्क

काजीरंगा नेशनल पार्क उत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे और दक्षिण में कर्बी आंगलोंग की पहाड़ियों के पास 430 वर्ग किमी. इलाके में फैला हुआ है। सैलानियों को इस पार्क में जंगली भैंस, हाथी, हिरण और शेर के अलावा कई जानवर नजर आते हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क प्राकृतिक रुप से समृद्ध है। यहां की झरने, चाय के बागानें, पशु पक्षी को देखकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

यूनेस्कों ने घोषित किया था विश्व धरोहर स्थल

गौरतलब है कि यूनेस्कों ने काजीरंगा नेशनल पार्क को साल 1987 में विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। इसे विश्व की सबसे प्रसिद्ध और बेहतरीन पार्क में से एक माना जाता है। इस पार्क में देश के सैलानी ही नहीं बल्कि विदेशों के सैलानी भी घूमने आते हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क में देश विदेश की विभिन्न प्रकार की प्रजातियों की पक्षियां पाई जाती है। इसके साथ ही यहां हजारों की संख्या में शाकाहारी और मांसाहारी जानवर भी पाए जाते हैं।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है– खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो मैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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