क्या आप जानते है : एक IPS को मिलती है इतनी SALARY, छुट्टी-गाड़ी-बंगले के अलावा मिलती है ये भी खास सुविधाएं

Pooja Khodani
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IPS Salary and Facility : UPSC परीक्षा को पास करने के बाद रैंक के अनुसार उम्मीदवारों को आईएएस (IAS), आईपीएस (IPS), आईईएस (IES) या आईएफएस (IFS) जैसे अधिकारी के रूप में चुना जाता है, लेकिन इन सब पदों में से सबसे ज्यादा IAS और IPS के पद की चर्चा रहती है। दोनों पद दूसरे के पूरक होते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि एक आईपीएस ऑफिसर को कितनी सैलरी और क्या क्या सुविधाएं मिलती है।

कितनी मिलती है सैलरी

  1. एक आईपीएस ऑफिसर की बेसिक सैलरी 56,100 रुपये से शुरू होती है, इसमें 8 साल कै अनुभव होने पर 1 हर महीने 1,31,000 रुपये तक की सैलरी होती है।आईपीएस को राज्य पुलिस में काम करने के के अलावा केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले विभिन्न सुरक्षा बलों में काम करने का मौका मिलता है।
  2. एक आईजी यानी इंस्पेक्टर जनरल की सैलरी 143000 रुपये होती है। डीजीपी को प्रति माह 225000 रुपये सैलरी मिलती है, आईपीएस अधिकारियों को सैलरी के साथ कई प्रकार के भत्ते भी मिलते हैं।
  3. IPS की सैलरी 7 वें वेतन आयोग के मुताबिक होती है, और सैलरी डिवीजन, उपखंड या सेवाओं के आधार पर अलग अलग होती है।
  4. डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस- इस पद पर IPS अधिकारी को 56 हजार 100 रुपये सैलरी मिलती है। एडिशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस- 67 हजार 700 रुपये, सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस- 78 हजार 800 रुपये और सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस- 1 लाख 18 हजार 500 रुपये,महीना सैलरी।
  5. डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस- 1 लाख 31 हजार 100 रुपये,इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस- इस पद पर 1 लाख 44 हजार 200,एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस- 2 लाख 5 हजार 400 रुपये महीना सैलरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस- मासिक सैलरी 2 लाख 25 हजार रुपये महीना सैलरी होती है।

मिलती है ये भी सुविधाएं

  1. आईपीएस अधिकारियों को पोस्ट के हिसाब से सुरक्षा गार्ड, ड्राइवर और हाउस हेल्पर भी दिए जाते हैं. पद के मुताबिक ही मेडिकल ट्रीटमेंट, टेलीफोन और बिजली बिल के लिए भी पैसे मिलते हैं।
  2. आईपीएस अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद आजीवन पेंशन भी मिलती है।
  3. आईपीएस अधिकारी को एक सरकारी गाड़ी और आलीशन बंगला मिलता है। बंगले के गार्डेन को मेंटेन करने के लिए एक माली भी दिया जाता है।एक पर्सनल असिस्टेंट मिलता है, जिसका काम पुलिस अधिकारी की वर्दी सेट करना होता है। वही पुलिस लाइन होती है, जहां बारबर और मोची मिलते हैं।
  4. आईपीएस आधिकारी का प्रमोशन समय समय पर होता है। 4 साल, 9 साल, 18 साल और 25 साल पर प्रमोशन होता है।
  5. एकेडमिक लीव लेकर देश विदेश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर सकते हैं। 30 दिन का ईएल, 16 दिन का सीएल मिलता है। इसके अलावा मेडिकल लीव भी मिलती है।
  6. बच्चों को पढ़ाने के लिए एनुअल एजुकेशन अलाउंस मिलता है। मेडिकल फैसिलिटी फ्री है।
  7. देश के बड़े हॉस्पिटल में अपना और फैमिली मेंबर्स का फ्री इजाज करा सकते हैं।
  8. साल में एक बार लीव ट्रैवल कंसेशन मिलता है,देश में कहीं भी परिवार के साथ घूमने जा सकते हैं।

कहां होती है ट्रेनिंग

  1. चयनित होने के बाद एक आईपीएस की 3 महीने की ट्रेनिंग मसूरी स्थित मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में आईएएस के साथ ही होती है,जिसे फाउंडेशन कोर्स कहा जाता है।
  2. यहां प्रशासन, पुलिसिंग, गवर्नेंस सहित हर सेक्टर के बारे में बेसिक जानकारी दी जाती है। ट्रेकिंग और हॉर्स राइडिंग जैसे मेंटल और फिजिकल एक्टिविटी भी कराई जाती है।
  3. इसके बाद आईपीएस को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद (SVPNPA) भेज दिया जाता है।यहां एक साल की ट्रेनिंग के दौरान भारतीय पुलिस और कानूनों, आंतरिक सुरक्षा व मानवाधिकार कानूनों आदि के बारे में पढ़ाया जाता है। वही पीटी, एथेलेटिक्स, जिम्नेजियम, स्पोर्ट्स, क्रॉस कंट्री रेस, ड्रिल, योगासन, अनआर्म्ड कॉम्बैट और तैराकी आदि चीजें भी शामिल होती हैं।
  4. इसके अलावा फील्ड क्रॉफ्ट एंड टैक्सिस, मैप रीडिंग, एंबुश लगाना, काउंटर एंबुश आदि की ट्रेनिंग दी जाती है।हार्स राइडिंग और फर्स्ट एड व एंबुलेंस ड्रिल आदि की भी ट्रेनिंग होती है। ट्रेनिंग में रॉक क्लाइंबिंग, असॉल्ट ट्रेनिंग, वेपन ट्रेनिंग आदि की भी ट्रेनिंग होती है।
  5. ट्रेनिंग के बाद आईपीएस अधिकारियों की पहली नियुक्ति डीएसपी के रूप में होती है, जो एसीपी या सहायक पुलिस आयुक्त के समान पद है।डीएसपी एसपी के मातहत काम करता है। इसका काम अपराध पर नियंत्रण, पुलिस स्टेशनों के प्रशासन और मैनेजमेंट, जांच आदि की जिम्मेदारी होती है।

 

नोट – यह सभी जानकारी विभिन्न स्त्रोतों से जुटाई गई है, इसमें फेरबदल भी हो सकता है।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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