दिग्विजय के निमंत्रण पर कुणाल कामरा ने ट्वीट कर दिया जवाब 

Gaurav Sharma
Published on -

नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने ट्वीट कर कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह के भोपाल में शो करने के निमंत्रण का जवाब दिया है। उन्होंने इसके लिए धन्यवाद देते हुए लिखा है कि मैं देख रहा हूं कि क्या मेरे पास एलआईसी की पॉलिसी है और तब आपको जवाब दूंगा।

यह भी पढ़ें…पीएम नरेंद्र मोदी ने किया काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का लोकार्पण, विजयवर्गीय ने कही बड़ी बात

कांग्रेस के सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा और मुनव्वर फारूकी को सोमवार की सुबह भोपाल में कॉमेडी शो करने के लिए दिए गए निमंत्रण पर कुणाल कामरा ने ट्वीट किया है। अंग्रेजी में किए गए ट्वीट मे कुणाल ने लिखा है “महोदय आपके इस प्रेम भरे आमंत्रण के लिए धन्यवाद। एक बार चेक कर रहे हैं कि हमारे पास जीवन बीमा है या नहीं फिर जल्द से जल्द आपके पास वापस आते हैं।” कुणाल के फनी अंदाज में दिए गए इस जवाब ट्विटर पर लोग पलटवार भी कर रहे हैं। एक व्यक्ति ने लिखा है कि “तुम वैक्सीन लगवा लो वरना तुम्हारे वायरस से न जाने कितने लोग इफेक्टेड हो जाएंगे।” एक और ट्वीट में लिखा गया है कि “तुम्हारी नौटंकी के लिए अब भारत में कोई जगह नहीं है।” नेपाल से ट्वीट करके कहा गया है कि “नेपाल में तुम्हारा शो कैंसिल नहीं होगा। यहां आ जाओ।” एक अन्य ट्विट मे लिखा गया है “नमूने, यह सब बकवास ही क्यों करता है, जिसके लिए इंश्योरेंस चाहिए। अगर हिंदू और भगवान के ऊपर कमेन्ट पास करेगा तो पक्का इंश्योरेंस लेकर जाना।”

Continue Reading

About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।