लालू की बेटी का सीएम पर तंज “रंगीन मिजाजी के चर्चे सरेआम हैं”।

Gaurav Sharma
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पटना डेस्क रिपोर्ट। बीजेपी महिला विधायक के बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टिप्पणी ने तूल पकड़ लिया है। इसे लेकर जहां विपक्ष मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहा है वहीं लालू प्रसाद यादव की बेटी ने इस पर ट्वीट के माध्यम से सीएम पर वार किया है।

बिहार में शीतकालीन सत्र शुरू होना है जिसके लिए सोमवार को एनडीए विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। कहा जा रहा है कि इसी बैठक में बीजेपी की विधायक निक्की हेंब्रम ने बेरोजगारों को वैकल्पिक रोजगार देने के मुद्दे पर बात करनी चाहिए तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कह दिया कि “आप इतनी सुंदर हैं लेकिन आपको नहीं पता कि आदिवासियों के लिए हमने क्या-क्या किया है और आपका विचार उल्टा है।” कटोरिया से विधायक निक्की पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह भी आरोप लगाया कि वे अपने क्षेत्र में जाती ही नहीं है। हालांकि निक्की ने इस आरोप को सिरे से गलत बताया और कहा कि सीएम की इस टिप्पणी से उनके सम्मान को ठेस पहुंची है और मुख्यमंत्री को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह वास्तव में क्या कहना चाहते थे। निक्की ने यह भी कहा कि उन्होंने पार्टी फोरम पर अपनी बात पहुंचा दी है और पार्टी आलाकमान क्या करता है इसका उन्हें इंतजार है।

लेकिन इस मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ज्यादा मुखर हो गई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि “महिलाओं की सुंदरता ही निहारता रह गया। 3 नंबरी पार्टी का मुखिया बिहार को फिसड्डी राज्य का दर्जा जो दिला दिया।” आगे एक और ट्वीट करते हुए रोहिणी ने लिखा “रंगीन मिजाजी के चर्चे सरेआम है’ इस उम्र में भी चच्चा बदनाम है।” जिस तरह से इस मुद्दे ने तूल पकड़ा है उससे यह जल्द शांत होता नहीं दिखाई दे रहा और नीतीश कुमार के विरोधी लोग इसे अब जोर-शोर के साथ प्रचारित करने में लगे हैं।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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