मोदी को रोकने बुआ-बबुआ साथ-साथ

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लखनऊ

लोकसभा चुनाव से पहले सपा और बसपा ने बड़ा फैसला लेते हुए गठबंधन का ऐलान किया है। शनिवार को लखनऊ में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा चीफ मायावती ने एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी घोषणा की। गठबंधन के बाद दोनों दल 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।वही रायबरेली और अमेठी की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी गई है, हालांकि उन्होंने इस गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नही किया । विधानसभा चुनाव के दौरान 3 राज्यों में समर्थन देने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि कांग्रेस भी इस गठबंधन में शामिल हो सकता है, लेकिन ऐसा नही हुआ।मुख्यमंत्री कमलनाथ के शपथ समारोह में बड़ी तादाद में विपक्ष के शामिल होने के बाद माना जा रहा था कि कांग्रेस लोकसभा में बसपा-सपा के साथ मिलकर चुनाव ल़ड सकती है, लेकिन इस ऐलान के बाद स्थिति साफ हो गई है।

सबसे पहले मायावती ने प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अमित शाह, इन दोनों गुरु-चेले की नींद उड़ा देने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस है। पिछली बार गठबंधन कर चुना लड़ा गया था। उत्तर प्रदेश में हवा का रुख बदलते हुए भाजपा जैसी जातिवादी पार्टी को पछाड़ते हुए सरकार बनाई गई थी। हालांकि, यह गठबंधन कुछ गंभीर कारणों से नहीं चल पड़ा था। लेकिन लखनऊ गेस्ट हाउस कांड से ऊपर देश और जनहित को ऊपर रखते हुए हमने यहां आपस में चुनावी समझौता करने का फैसला लिया है।अगर भाजपा ने पुर्व की तरह ईवीएम में गड़बड़ी नहीं की और राम मंदिर जैसे मुद्दों से धार्मिक भावनाओं को नहीं भड़काया तो बीजेपी एन्ड कंपनी को हम जरूर सत्ता में आने से रोकेंगें। 

वही कांग्रेस के गठबंधन को लेकर मायावती ने कहा कि कांग्रेस के साथ सपा बसपा गठबंधन का कोई खास फायदा नहीं होता। हमारे वोट तो ट्रासंफर हो जाता है लेकिन कांग्रेस का वोट ट्रान्सफ़र नहीं होता या अंदरूनी रणनीति के तहत कहीं और करा दिया जाता है। यूपी में एसपी-38 और बीसएपी 38 सीटों पर चुनाव लडेगी। कोई उम्मीदवार अमेठी और रायबरेली में कांग्रेक के खिलाफ नहीं होगा । 2 सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ा। ऐसे में कांग्रेस को अलग रखकर बनाए जा रहे गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल, निषाद पार्टी, पीस पार्टी, सुभासपा व अपना दल जैसे स्थानीय दलों को भी जगह मिल सकती है।

गौरतलब है कि भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए एक बार फिर दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने गठबंधन किया है। दो वर्ष पूर्व विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी लखनऊ के पांच सितारा ताज होटल में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने “यूपी के लड़के” और “यूपी को यह साथ पसंद है” नारे के साथ चुनावी गठजोड़ किया था। सपा का तकरीबन ढाई दशक पहले बसपा से गठबंधन करने का फार्मूले हिट रहा था।इस घोषणा के साथ ही प्रदेश की राजनीति में धुर विरोधी माने जाने वाले सपा-बसपा का ढाई दशक बाद एक मंच पर आए हैं जो सूबे की सियासत का बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है।


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