Mystery Of Qutub Minar : इस वजह से बंद रहता है कुतुब मीनार का दरवाजा, जानें दिलचस्प फैक्ट्स

Mystery Of Qutub Minar : दिल्ली में कई ऐतिहासिक इमारतें है इसी में से एक है कुतुब मीनार। कहा जाता है इस ऐतिहासिक धरोहर का दरवाजा हमेशा बंद रहता है।

Mystery Of Qutub Minar : दिल्ली में कई सारी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर मौजूद है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक दिल्ली आते हैं। यहां का नजारा भी देखने लायक है। अगर यहां रहकर जॉब करते हैं और आसपास घूमने की जगहों की तलाश कर रहे हैं तो आप दिल्ली की सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक इमारत कुतुबमीनार की सैर करने जा सकते हैं। आज हम आपको इस से जुड़े कई दिलचस्प किस्से बताने जा रहे हैं। जिससे पढ़कर यहां घूमने जाने का मजा और ज्यादा दुगना हो जाएगा। तो चलिए जानते हैं उनके सबके बारे में –

Qutub Minar के दिलचस्प फैक्ट्स –

Mystery Of Qutub Minar

दिल्ली का ऐतिहासिक ईमारत काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां दूर दूर से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं दिल्ली के कुतुब मीनार का दरवाजा बंद रहता है? नहीं जानते होंगे तो चलिए जानते हैं आखिर क्यों बंद रहता है यहां का दरवाजा और इसके पीछे का क्या राज है।

आपको बता दे, कुतुब मीनार का निर्माण 1199 में करना शुरू किया गया था। इसको बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन-ऐबक ने की थी। उनके बाद इसका कार्य उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने करवाया। उस वक्त तक यहां का दरवाजा खुला रहता था और लोग इसका दीदार करने के लिए अंदर भी जाते थे। लेकिन अब यहां पर्यटक आते तो हैं लेकिन अंदर नहीं जा पाते।

इसके पीछे की कहानी ये है कि बात सन 1974 की है, जब कुतुब मीनार में आम लोगों की एंट्री हुआ करती थी। लेकिन 1981 में एक हादसा हुआ जिसमें कुतुब मीनार के अंदर भगदड़ मच गई। ऐसे में करीब 45 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद यहां कोई नहीं गया और यहां का दरवाजा बंद कर दिया गया।

कुतुब मीनार पर बने दरवाजे का नाम अलाई द्वार है। इसके अलावा कुतुब मीनार का प्रवेश द्वार दिल्ली सल्तनत के अला-उद्दीन खिलजी ने करवाया था। इस दरवाजे से ही क़ुतुब मीनार के कई द्वार जोड़े गए। इस ईमारत में अंदर जाकर कई चीज़ों को देखा जा सकता था।

यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई है। ये भी बात सामने आई थी कि एक्टर और डायरेक्टर देवानंद यहां अपनी फिल्म के गाने ‘दिल का भंवर करे पुकार’ की शूटिंग की करना चाहते थे लेकिन यहां जगह छोटी होने की वजह से कैमरे फिट नहीं हो पाए। इस वजह से यहां शूटिंग नहीं हो पाई।

ऐसा है कुतुब मीनार की वास्तुकला –

72.5 मीटर ऊंचा कुतुब मीनार में 379 सीढ़ियां है। इमारत का व्यास 14.32 मीटर है। लेकिन ये ऊपर शिखर तक पहुंचने में 2.75 मीटर ही रह जाता है। इस ईमारत की वास्तुकला देखने लायक है। इसे लाल पत्थर से बनाया गया है। यहां पर दिल्ली का लौह स्तंभ, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा, इल्तुतमिश की कब्र, अलाई मीनार, अलाउद्दीन का मदरसा और कब्र मौजूद है।