धर्मशाला,डेस्क रिपोर्ट। हिमाचल प्रदेश में निगम और बोर्डों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने 1999 की पेंशन अधिसूचना को बहाल करने की मांग ने जोर पकड़़ लिया है। कर्मचारियों ने पेंशन बहाली के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन भेजा है।साथ ही कहा है कि भाजपा ने 2007 और 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में इस अधिसूचना को बहाल करने का संकल्प लिया था जिसे आज तक बहाल नहीं किया, जबकी अन्य कर्मचारियों को इसका लाभ मिल रहा है।
कर्मचारियों का कहना है कि प्रदेश में विभिन्न निगमों व बोडों में 39,072 कर्मचारी कार्यरत थे, इनमें से 32,242 कर्मचारी जो बिजली बोर्ड परिवहन निगम, शिक्षा बोर्ड व नगर निगम में कार्यरत हैं, जिन्हें सरकारी कर्मचारियों की तरह पेंशन का लाभ मिल रहा है, लेकिन बाकी के 20 निगमों व बोर्ड के 6730 कर्मचारियों को अब तक पेंशन का लाभ नहीं मिला है।इन्हें सिर्फ ईपीएफ से 1000 और 3000 रुपये की पेंशन दी जा रही है।
डीसी के जरिए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में बताया कि हिमाचल सरकार ने 1999 में पेंशन योजना की अधिसूचना जारी की थी। इसके तहत 1999 से 2003 तक निगम एवं बोर्ड से सेवानिवृत्त करीब 1700 कर्मचारियों को सरकार पेंशन का लाभ दिया गया।लेकिन इस अधिसूचना को 2004 में कांग्रेस सरकार ने रद्द कर दिया। इसके बाद कारपोरेट सेक्टर से सेवानिवृत्त हुए 6730 कर्मचारी 1999 को जारी अधिसूचना के लाभ से वंचित रह गए। हालांकि भाजपा ने 2007 और 2017 के चुनावी घोषणा पत्र में इस अधिसूचना को बहाल करने का संकल्प लिया था जिसे आज तक बहाल नहीं किया।
हैरानी की बात तो ये है कि 1 अप्रैल 1999 से दो दिसंबर 2004 के मध्य जो कर्मचारी सेवानिर्वित हुए उन्हें तो पेंशन नियम 1972 के तहत पूर्ण पेंशन मिल रहा है, लेकिन अन्य बचे हुए लगभग 6,730 कर्मचारी जो दो दिसंबर 2004 के बाद सेवनिवृति हुए पेंशन से वंचित हो गए है। इसी के चलते इन कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि इस विषय को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार को निगम व बोर्डों के कर्मचारियों की पेंशन बहाल करने के निर्देश जारी किए जाएं।