पुलेला गोपीचंद के खेल को लेकर दिए गए बयान पर बोले ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामथ, कहा – ‘मेरा दृष्टिकोण इससे बिलकुल अलग’

भारतीय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद का एक बयान चर्चा में आ गया है। दरअसल, उनके एक बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। गोपीचंद का कहना है कि अगर कोई खिलाड़ी मध्यम वर्गीय परिवार से आता है, तो उन्हें खेल को गंभीरता से लेने से पहले दो बार सोचना चाहिए। इस बयान पर ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।

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इस समय बैडमिंटन के राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद चर्चा में हैं। हाल ही में एक मीडिया हाउस को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि अगर कोई खिलाड़ी मध्यम वर्गीय परिवार से आता है, तो उसे खेलों को गंभीरता से लेने से पहले दो बार सोचना चाहिए। जब तक आप अमीर नहीं हो जाते, तब तक खेल में भाग लेने के बारे में सोच-विचार करना चाहिए। इस बयान को लेकर अब विवाद देखने को मिल रहा है। इसके अलावा, गोपीचंद का यह भी कहना है कि भारत उन खिलाड़ियों को वैकल्पिक करियर देने के लिए तैयार नहीं है, जो बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं।

गोपीचंद के इस बयान पर ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामथ का कहना है कि आज के समय में करियर के कई विकल्प हैं। ऐसे में उन लोगों को भी अवसर मिल जाते हैं, जो एक करियर में सफल नहीं हो पाते। अब गोपीचंद और नितिन कामथ के इन बयानों को लेकर चर्चा हो रही है।

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पुलेला गोपीचंद ने क्या कहा?

दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जो खिलाड़ी बड़ी सफलता हासिल नहीं कर पाते, उनके लिए जीवन बेहद कठिन हो जाता है। भारत उन खिलाड़ियों के लिए वैकल्पिक करियर भी तैयार नहीं कर पाता है। गोपीचंद ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओलंपिक पदक विजेता भी खेल-कूद से जुड़ी नौकरियों में अपना करियर खत्म करने के बाद सम्मान पाने के लिए संघर्ष करते हैं। मध्यमवर्गीय खिलाड़ियों के लिए खेल के सपने बेहद यथार्थवादी हो सकते हैं। मैं भी उन लोगों में से हूं, जो प्रचार करते हैं कि खेल सभी के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन अगर पिछले कुछ समय या एक दशक को देखा जाए, तो आगे बढ़ने वालों की संख्या अधिक है, लेकिन शीर्ष स्तर पर सफल होने के अवसर बहुत कम हैं।

ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामथ ने इस पर अपनी विपरीत राय रखी

वहीं, ज़ेरोधा के सीईओ नितिन कामत ने इस पर अपनी विपरीत राय रखी। हालांकि, नितिन कामथ ने कहा कि वह पुलेला गोपीचंद की चिंता को समझते हैं कि जब तक आप अमीर न हों, अपने बच्चों को खिलाड़ी न बनाएं। लेकिन फिर भी उनका दृष्टिकोण थोड़ा अलग है। दरअसल, नितिन कामथ ने उदाहरण देकर समझाया कि कल्पना कीजिए कि आप किसी एक विषय का अध्ययन कर रहे हैं, जो आपको पसंद नहीं है, या आप किसी क्षेत्र में फंसे हुए हैं, जबकि आप जानते हैं कि आपकी कुशलता कहीं और अधिक उपयोगी हो सकती है। ऐसे में संभावना है कि आप उन लोगों की तुलना में औसत से भी कम प्रदर्शन कर सकते हैं, जो उस क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त हैं। जिससे आप नफरत करते हैं, ऐसे में आप नौकरी की सुरक्षा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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