Chandrayaan 3: शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे chandrayaan-3 का प्रक्षेपण किया जाने वाला है। मिशन के तहत 23 या 24 अगस्त को लैंडर विक्रम चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। मंगलवार को इसका पूर्वाभ्यास किया गया था और गुरुवार से उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में सारी तैयारियों का जायजा ले लिया गया है और इसरो ने प्रक्षेपण की अनुमति दे दी है।
भारत का तीसरा कदम
Chandrayaan-3 के प्रक्षेपण के साथ भारत चांद की और तीसरी बार अपने कदम बढ़ा रहा है। 23 या 24 अगस्त को लैंडर विक्रम अगर चंद्रमा की सतह पर उतर जाता है तो भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में सबसे बड़ी चौथी शक्ति बन जाएगा। अब तक केवल अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश ही चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग चंद्रमा की सतह पर करवा सके हैं।
पृथ्वी की परिक्रमा
प्रक्षेपण के बाद चंद्रयान पृथ्वी की 5 से 6 दीर्घ परिक्रमा करने वाला है। इस दौरान यह कभी पृथ्वी के 170 किलोमीटर नजदीक तो कभी 36500 किलोमीटर दूर होगा। इससे उसे वह भी हासिल होगा जो चंद्रमा की सतह पर उतरने में उसकी मदद करेगा। चंद्रमा की 100 मीटर ऊंची सतह पर पहुंचने के बाद चंद्रयान वहां पर भी दीर्घ परिक्रमा करते हुए एक निर्धारित स्थान हासिल कर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा।
10 चरणों का मिशन
इस मिशन को 10 चरणों में बांटा गया है पहला चरण पृथ्वी का है जिसमें प्रक्षेपण के पहले की सारी तैयारियों का जायजा, प्रक्षेपण उदय और यान के स्थान परिवर्तित होंगे।
दूसरा चरण चंद्रयान को पृथ्वी से चंद्रमा की ओर स्थानांतरित करने का है। इसके बाद क्या अगले 7 चरण चंद्रमा पर आधारित है जिसमें चंद्रयान का चंद्रमा की सतह में प्रवेश करना। यान का स्थान परिवर्तन, मॉड्यूल का परिवर्तित होना और इसकी गति कम होना। प्री लैंडिंग, लैंडिंग से लेकर लैंडर और रोवर के सामान्य चरण शामिल है।
आखिरी चरण प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की परिक्रमा करना है। इस मिशन में ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है लेकिन चंद्रमा से 100 मीटर ऊंची एक सतह पर रहकर पीएम अपने एक उपकरण से पृथ्वी का पर्यवेक्षण करेगा। यहां से जो डाटा मिलेगा वह पृथ्वी और अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराएगा जिससे पता किया जा सकेगा कि जीवन की संभावना कहां पर है।