Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस, जवाब मिलने तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े नए मुकदमों व सर्वे पर रोक

कोर्ट ने कहा एक्ट की धारा 3 और 4 को लेकर मुकदमे हैं, चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए केंद्र सरकार का जवाब आने तक नए मुकदमे दर्ज न हों, जो मुकदमे दर्ज हैं उनमें कोई प्रभावी या अंतिम आदेश पारित न हो।

Atul Saxena
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Places Of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार 12 दिसंबर 2024 को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई, चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने कहा कि अगली तारीख तक मंदिर-मस्जिद से जुड़ा कोई नया मुकदमा दर्ज न हो, कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया,

कोर्ट ने  सुनवाई करते हुए निचली अदालतों क एलिए भी निर्देश दिए कि जो मुक़दमे चल रहे हैं केंद्र सरकार का जवाब आने तक उनमें कोई प्रभावी आदेश न दिया जाये और अगली सुनवाई तक सर्वे के आदेश भी न दिए जाएं। CJI जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की तीन सदस्यीय विशेष पीठ प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 से जुडी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

एक्ट की धारा 2, 3 और 4 को रद्द करने की अपील  

कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं, जिनपर सुनवाई होनी है, इनमें से एक याचिका एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की भी है, याचिका में उन्होंने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द कर ने की अपील की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि ये तीनों धाराएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15, 21, 25,26 और 29 का उल्लंघन करती हैं। याचिका के मुताबिक ये सभी हमारे संविधान की मूल भावना और प्रस्तावना के खिलाफ हैं।

कोर्ट ने ली एक्ट से जुड़े कुल मुकदमों की जानकारी 

सीजेआई ने पूछा कि मथुरा और ज्ञानवापी समेत कितने मुकदमे हैं? एक वकील ने बताया कि इस समय 10 धार्मिक स्थलों को लेकर 18 मुकदमे अलग-अलग कोर्ट में लंबित हैं, सुनवाई के दौरान कुछ वकीलों ने विभिन्न अदालतों के सर्वे के आदेशों पर एतराज जताया लेकिन कोर्ट ने उस पर टिप्पणी नहीं की।

नोडल एडवोकेट नियुक्त, सर्वे के आदेश पर भी रोक 

कोर्ट ने कहा एक्ट की धारा 3 और 4 को लेकर मुकदमे हैं, चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए केंद्र सरकार का जवाब आने तक नए मुकदमे दर्ज न हों, जो मुकदमे दर्ज हैं उनमें कोई प्रभावी या अंतिम आदेश पारित न हो, साथ ही अगली सुनवाई तक सर्वे के आदेश भी न दिए जाएं, सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा केंद्र की तरफ से कनु अग्रवाल, एक्ट विरोधी याचिकाकर्ताओं की तरफ से विष्णु शंकर जैन और एक्ट समर्थक याचिकाकर्ताओं की ओर से एजाज मकबूल नोडल एडवोकेट होंगे।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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