One Nation One Election: केन्द्रीय कैबिनेट ने एक देश, एक चुनाव बिल को मंजूरी दे दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शीतकालीन सत्र में विधेयक संसद में पेश हो सकता है। बता दें कि समय, कार्यबल और पैसों की बर्बादी को रोकने के नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव व्यवस्था में बदलाव पर जोर दे रही है। लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन पर चर्चा हो रही है। इसके प्रस्ताव को सितंबर में ही मंत्रालय ने मंजूरी दी थी। अब बिल पर मुहर लग गई है।
इस बिल को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों समेत 32 दलों का सपोर्ट प्राप्त है। हालांकि कॉंग्रेस, आरजेडी समेत कई विपक्ष दल इसके विरोध में खड़े हैं। बिल पर कैबिनेट की मंजूरी पर कई नई नेताओं की प्रतिक्रिया आई है।
कैसे बदलेगा चुनावी सिस्टम? (Election in India)
बिल लागू होने पर भारत के चुनावी सिस्टम में कई बदलाव होंगे। कई चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं। उत्तर प्रदेश, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड और गोवा का कार्यकाल घट कर 3 से 5 महीने तक हो जाएगा। पश्चिम बंगाल, गुजरात, हिमाचल, नागालैंड, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल, असम, मेघालय समेत कई राज्यों के कार्यकाल में भी कमी आएगी। कोविन्द कमिटी की सिफारिशों के मुताबिक दो चरणों में चुनाव आयोजित होंगे। पहले चरण में लोकसभा और विधासभा चुनाव एक साथ होंगे। वहीं दूसरे चरण में नगर पालिका और पंचायत चुनाव होंगे। सभी चुनावों के लिए एक ही वोटिंग लिस्ट होगी। सभी के लिए वॉटर आई कार्ड भी एक होगा।
वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
कोविन्द कमिटी की रिपोर्ट में वन नेशन वन इलेक्शन के कई फायदे बताएं गए हैं। इससे संसाधनों का उपयोग बेहतर तरीके से हो पाएगा। अर्थव्यवस्था में भी स्थिरता आएगा। नागरिकों के लिए चुनावी प्रक्रिया आसान होगी। करप्शन भी कम हो सकता है। चुनाव खर्चों में कमी आ सकती है, जिससे सार्वजनिक धन की बचत होगी।