देशवासियों के नाम प्रियंका गांधी का भावुक फेसबुक पोस्ट-हम होंगे कामयाब..

Pooja Khodani
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। एक तरफ जहां देश में कोरोना (Coronavirus) के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे है, रोजाना हजारों मौते हो रही है, चारों तरफ भय और दहशत का माहौल है, वही दूसरी तरफ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Congress General Secretary Priyanka Gandhi) ने देशवासियों के नाम FACEBOOK पर एक भावुक पोस्ट लिखकर कहा है “हम होंगे कामयाब।” इतना ही नहीं उन्होंने अपने पत्र में केन्द्र की मोदी सरकार पर भी तंज कसते हुए कहा है कि संकट के इस दौर में लोगों को एक दूसरे साथ खड़े रहना चाहिए और पूरा सहयोग करना चाहिए।

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प्रियंका गांधी जी की फेसबुक पोस्ट

हम होंगे कामयाब

प्रियंका गांधी के लिखा है कि प्यारे दोस्तों, ये लाइनें लिखते वक्त मेरा दिल भरा हुआ है। मुझे पता है पिछले कुछ हफ़्तों में आपमें से कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है, कइयों के परिजन जिंदगी के साथ जद्दोजहद कर रहे हैं और कई लोग अपने घरों पर इस बीमारी से लड़ते हुए सोच रहे हैं, आगे क्या होगा। हममें से कोई भी इस आफत से अछूता नहीं है। पूरे देश में साँसों के लिए जंग चल रही है, अस्पताल में भर्ती होने और दवाओं की एक खुराक पाने के लिए पूरे देश में लोगों के अंतहीन संघर्ष जारी हैं।

इस सरकार ने देश की उम्मीदों को तोड़ दिया है। मैंने विपक्ष की एक नेता के रूप में इस सरकार से लगातार लड़ाइयाँ लड़ी हैं, मैं इस सरकार की विरोधी रही हूँ मगर मैंने भी कभी ये नहीं सोचा था कि ऐसी मुश्किल घड़ी में कोई सरकार और उसका नेतृत्व इस कदर अपनी ज़िम्मेदारियों को पीठ दिखा सकता है। हम अब भी अपने दिलों में ये भरोसा पाले हुए हैं कि वे जागेंगे और लोगों का जीवन बचाने के लिए ठोस कदम उठाएँगे।बावजूद इसके कि देश का शासन चलाने के पवित्र कार्यभार की जिम्मेदारी रखने वाले लोगों ने हमें नाउम्मीद किया है, हमें उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना है।

इस तरह की मुश्किल घड़ियों में इंसानियंत का झंडा हमेशा बुलंद हुआ है। हिंदुस्तान ने पहले भी ऐसे दर्द और पीड़ा का सामना किया है। हमने बड़े-बड़े तूफ़ान, अकाल, सूखा, भयंकर भूकंप और भयानक बाढ़ देखी है मगर हमारा माद्दा टूटा नहीं है। जब भी हम ऐसी विपत्ति का सामना करते हैं, साधारण लोग, हमारी-आपकी तरह आगे आकर एक दूसरे का हाथ थामते हैं। इन्सानियत ने हमें कभी निराश नहीं किया है।

डॉक्टर, नर्स और स्वास्थ्य कर्मी अधिकतम दबाव के बीच रात-दिन लोगों को बचाने का काम कर रहे हैं। अपना जीवन खतरे में डाल रहे हैं। औद्योगिक वर्ग के लोग अपने संसाधनों को ऑक्सीजन व अस्पतालों की अन्य जरूरतों को पूरा करने में लगा रहे हैं। हर जिले, शहरों, क़स्बों एवं गाँवों में ऐसे तमाम संगठन व व्यक्ति हैं जो लोगों की पीड़ा कम करने के लिए तन-मन-धन से जुटे हुए हैं। अच्छाई की एक मूल भावना हम सब में है। असीम पीड़ा के इस दौर में अच्छाई की यह जुंबिश हमारे राष्ट्र की आत्मा और रुतबे को और मजबूत बनाएगी।

ये हम सबकी जिंदगी का एक अहम मोड़ है जहां हम अपनी सीमाओं के परे जाकर एक बार फिर अपनी असीमित जिजीविशा से साक्षात्कार कर पा रहे हैं। बेबसी और भय को परे कर हम पर साहसी बने रहने की चुनौती है।जाति, धर्म, वर्ग या किसी भी तरह के भेद को खारिज करते हुए, इस लड़ाई में हम सब एक हैं। ये वायरस भेदों को नहीं पहचानता।आइए, हम एक दूसरे को और इस दुनिया को दिखा दें, करुणामयी व्यवहार और कितनी भी कठिन परिस्थितियों में कभी हार न मानना ही हमारी भारतीयता है। जिंदगी के इस मोड़ पर हम एक दूसरे की ताकत बनेंगे।

चौतरफा फैली इस मायूसी के बीच अपनी ताकत को बटोरते हुए, दूसरों को राहत देने के लिए जो कुछ भी बन पड़े वो करते हुए, थककर चूर होने के बाद भी थकान को न कहते हुए और तमाम मुश्किलों के खिलाफ जिन्दादिली से टिके रहकर, हम जरुर कामयाब होंगे।ये जो अंधेरा हमारे चारो ओर फैला हुआ है, उसको चीरते हुए उजाला एक बार फिर उभरेगा।

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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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