संभल पीड़ितों से मिलने जा रहे राहुल गांधी को पुलिस ने लौटाया, BJP सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा ये रस्म अदायगी, मंशा पर उठाये सवाल

BJP ने कहा, कांग्रेस औपचारिकता नहीं विवशता निभा रही है, इसलिए क्योंकि संभल मामले पर कांग्रेस के किसी नेता ने न अब तक कुछ बोला, न ही कुछ लिखा और आज अचानक ऐसा लगता है कि सिर्फ मीडिया आकर्षण पाने और INDI गठबंधन को साथ न रख पाने की छटपटाहट में राहुल गांधी ने ये कार्य किया है।

Atul Saxena
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UP police return Rahul Gandhi

UP police return Rahul Gandhi going to meet Sambhal victims: उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा पर सियासत जारी है, नेता प्रतिपक्ष संसद सत्र के बीच आज एक बड़े लाव लश्कर के साथ अपनी सांसद बहन प्रियंका गांधी और अन्य कई सांसदों के साथ संभल जाने के लिए निकले थे लेकिन पुलिस ने उन्हें कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए रोक दिया, हालाँकि राहुल गांधी ने अकेले पुलिस के साथ जाने की बात भी कही लेकिन बहुत देर तक चर्चा करने के बाद भी पुलिस ने राहुल गांधी को संभल जाने की अनुमति नहीं दी और उनके काफिले को लौटा दिया, राहुल गांधी के इस प्रयास पर भाजपा सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने रस्म अदायगी बताते हुए तंज कसा है।  

राहुल गांधी आज संभल में हुई हिंसा के पीड़ितों से मिलने के लिए सड़क मार्ग से उत्तर प्रदेश जा रहे थे लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस ने उन्हें दिल्ली उत्तर प्रदेश की सीमा पर गाजियाबाद में रोक लिया,  नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ, कांग्रेस महा सचिव और सांसद प्रियंका गांधी, सांसद केसी वेणुगोपाल और अन्य कई कांग्रेस नेता सहित हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं की भीड़ थी।

कानून व्यवस्था का हवाला देकर पुलिस ने राहुल गांधी को लौटाया 

पुलिस के रोकते ही वहां नारे बाजी शुरू हो गई और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार और पुलिस के विरोध में कांग्रेस नेता नारे लगाने लगे, राहुल गांधी ने पुलिस अधिकारियों से उन्हें रोके जाने का कारण पूछा, आदेश दिखाने के लिए कहा जिसपर पुलिस अधिकारियों ने उनसे कानून व्यवस्था की स्थिति ख़राब होने का हवाला देकर आगे नहीं जाने का अनुरोध किया।

राहुल गांधी ने उन्हें रोकना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन कहा  

राहुल गांधी ने कहा कि वे अकेले पुलिस के साथ जाकर पीड़ित परिवारों से मिलने चले जाते हैं लेकिन पुलिस ने उनकी ये बात भी नहीं मानी और हारकर राहुल गांधी और उनके काफिले को वापस लौटना पड़ा, राहुल गांधी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष होने के नाते ये मेरा संवैधानिक अधिकार है कि मैं पीड़ितों से मिलूं लेकिन ये सरकार ऐसा नहीं चाहती, उन्होंने संविधान हाथ में लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा, प्रियंका गांधी ने भी राहुल गांधी को मिलने से रोकना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया , कांग्रेस ने कहा,मोहब्बत और भाईचारे के नाम से डरी-सहमी यूपी सरकार ने नेता विपक्ष राहुल गांधी जी को संभल जाने से रोक दिया। ये हमारे संवैधानिक अधिकारों का हनन है, देश में शांति और सद्भाव की अपील करने वालों का अपमान है।

सुधांशु त्रिवेदी ने बताया इसे रस्म अदायगी और विवशता  

उधर राहुल गांधी के काफिले के वापस लौटने पर भाजपा सांसद एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने इसे एक रस्म अदायगी कहा, उन्होंने कहा, सदन के पटल पर सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की असफलता के बाद आज राहुल गांधी उस विवशता में रस्म अदायगी के लिए उत्तर प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्र संभल जाने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने कहा सपा के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने खुद कहा है कि कांग्रेस औपचारिकता निभा रही है। मैं राम गोपाल यादव के बयाना को अलग रूप में कहना चाहूंगा कि कांग्रेस औपचारिकता नहीं विवशता निभा रही है, इसलिए क्योंकि संभल मामले पर कांग्रेस के किसी नेता ने न अब तक कुछ बोला, न ही कुछ लिखा और आज अचानक ऐसा लगता है कि सिर्फ मीडिया आकर्षण पाने और INDI गठबंधन को साथ न रख पाने की छटपटाहट में राहुल गांधी ने ये कार्य किया है।

BJP बोली- न आपके दिल की भावना थी न ही आपने औपचारिक रूप से जाने की मंशा रखी

राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने राहल गांधी की मंशा पर भी सावला उठाये, उन्होंने कहा, राहुल गांधी के पास Z+ के साथ ASL सुरक्षा है, ये वो सुरक्षा है जो देश के गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के पास है। ये वो सुरक्षा है जो देश के प्रधानमंत्री के बाद सर्वोच्च स्तर की सुरक्षा है, इस सुरक्षा के व्यक्ति को जहां भी जाना होता है उसे एडवांस में कार्यक्रम बताना पड़ता है ताकि उस जगह पर पहले से ही पुलिस पहुंचे और उस जगह को सैनिटाइज करती है उसके बाद क्लियर करती है। न आपके दिल की भावना थी न ही आपने औपचारिक रूप से जाने की मंशा रखी, सिर्फ रस्म अदायगी की और लौटकर आ गए।

 

 

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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