कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, रिटायरमेंट एज मामले पर हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला, मिलेगा लाभ

सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि समादेष्टा और डीआईजी, सैप ने खुद आदेश निकाला है की सैप कर्मियों का सर्विस काल 62 साल तक बढ़ाया जाएगा, ऐसे में सैप कर्मियों को 60 साल में रिटायर करना उचित नहीं है।

Pooja Khodani
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Jharkahnd SAP Employees : झारखंड के स्पेशल ऑग्जीलियरी पुलिस यानि सैप कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर है। कर्मचारियों को 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट करने के मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है।इस मामले में हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की कोर्ट ने प्रार्थी और सैप कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त करने के आदेश पर रोक लगा दी।

सैप कर्मियों को रिटायरमेंट एज मामले में मिली बड़ी राहत

दरअसल, मंगलवार को स्पेशल ऑग्जीलियरी पुलिस यानि सैप (SAP) में काम करने वाले कर्मचारियों को 60 साल की उम्र में रिटायरमेंट करने के मामले दाखिल एक याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि डीआईजी सैप ने एक चिट्ठी निकाली है जिसमें कुछ लोग जिनकी उम्र 60 साल हो चुकी है उनको रिटायरमेंट किया जाएगा, जबकि इससे पहले समादेष्टा और डीआईजी, सैप ने खुद आदेश निकाला है की सैप कर्मियों का सर्विस काल 62 साल तक बढ़ाया जाएगा, ऐसे में सैप कर्मियों को 60 साल में रिटायर करना उचित नहीं है।

हाईकोर्ट ने 60 वर्ष की उम्र में रिटायर करने के आदेश पर लगाई रोक

इस दौरान प्रार्थी ने समादेष्टा और डीआईजी, सैप के आदेश के तहत हाई कोर्ट से रिटायरमेंट की निर्धारित सीमा 62 वर्ष करने का आग्रह किया है। यह  याचिका चमरा मिंज और जगदेव नाग जो सैप में सूबेदार पद पर कार्यरत है, उन्होंने दाखिल की थी।सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एसएन पाठक की कोर्ट ने प्रार्थी और सैप कर्मियों को बड़ी राहत देते हुए 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त करने के आदेश पर रोक लगा दी।आपको बता दे कि यह पहला मौका नहीं है जब सैप कर्मियों को राहत दी गई है, इससे पहले 2023 में 721 कर्मियों को राज्य सरकार द्वारा सेवा समाप्त करने के मामले में राहत दी गई थी, जिनकी सेवा झारखंड सरकार के आदेश के तहत 31 अगस्त 2023 को समाप्त होने वाली थी।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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