अब कॉन्ट्रैक्ट नौकरियों में भी मिलेगा आरक्षण, इन कर्मचारियों को लाभ, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी

Kashish Trivedi
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Contract Employees Reservation, Employees reservation : इन दिनों लगातार जातीय जनगणना की मांग की जा रही है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव सहित जातीय जनगणना की मांग को देखते हुए मोदी सरकार द्वारा बड़ा फैसला लिया गया है इन दिनों लगातार जातीय जनगणना की मांग की जा रही है। वहीं आगामी लोकसभा चुनाव सहित जातीय जनगणना की मांग को देखते हुए मोदी सरकार द्वारा बड़ा फैसला लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की मांग वाली याचिका पर जवाब देते हुए मोदी सरकार ने कहा की सरकारी विभाग में कॉन्ट्रैक्ट नौकरी पर एससी एसटी और ओबीसी को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।

कॉन्ट्रैक्ट नौकरी पर SC-ST और ओबीसी को आरक्षण का लाभ

लोकसभा चुनाव से पहले इसे सरकार का बड़ा दांव माना जा रहा है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की मांग वाली एक रिट याचिका का जवाब दिया है। मोदी सरकार ने कहा कि सरकारी विभाग में 45 दिन या इससे अधिक की कांटेक्ट नौकरी होने पर एससी एसटी और ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा। केंद्र ने स्पष्ट किया कि सभी मंत्रालय और विभाग को आरक्षण से संबंधित सभी प्रभाव सख्ती से लागू करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

ऐसे में किसी भी सरकारी मंत्रालय और विभाग में कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त हुए अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। बता दे कि बिहार में हुई जातीय जनगणना की मांग पूरे देश में की जा रही है। इसके पहले मोदी सरकार द्वारा यह बड़ा दांव खेला गया है।

संसदीय समिति के एक रिपोर्ट का भी हवाला 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब देते हुए कहा कि 2022 में एक आदेश जारी किया गया है। सभी मंत्रालय और विभागों को अस्थाई पदों पर आरक्षण को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। केंद्र सरकार के विभाग और मंत्रालय द्वारा  नियुक्तियों के संबंध में अस्थाई नियुक्तियों में एससी एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों को आरक्षण दिया जाएगा। इसके लिए नियम भी तय किए गए हैं। 45 दिन या उससे अधिक समय तक सेवा में रहने वाले कर्मचारियों को इसका लाभ दिया जाएगा। इसके लिए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एससी और एसटी के कल्याण पर संसदीय समिति के एक रिपोर्ट का भी हवाला दिया है।

शीर्ष अदालत में एक अर्जी दाखिल की गई थी। जिसमें अस्थाई नौकरी में एससी एसटी और ओबीसी आरक्षण लागू करने की मांग की गई थी। न्याय मूर्ति संजीव खन्ना और एवीएन भट्टी की पीठ द्वारा याचिका की सुनवाई की जा रही थी। वही याचिका का निपटारा करते हुए न्यायमूर्ति ने स्पष्ट किया है कि यदि कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है और विभाग सरकार के आदेशों की अवहेलना करते हैं तो याचिकाकर्ता-पीड़ित पक्ष कानून के अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होगा।

सरकार के आदेशों की अवहेलना

अस्थाई नौकरियों में आरक्षण के निर्देश दिए जाने के बावजूद कई विभागों द्वारा सरकार के आदेशों की अवहेलना की जा रही हो और इसका पालन नहीं किया जा रहा है। केंद्र ने सभी मंत्रालय और विभागों को यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है कि 45 दिन या उससे अधिक समय तक चलने वाली सभी अस्थाई नियुक्तियों में ओबीसी सहित अनुसूचित जाति और जनजाति को आरक्षण दिया जाए। बता दे अस्थाई नियुक्तियों में आरक्षण की व्यवस्था 1968 से लागू है इस संबंध में 2018 और 2022 में भी निर्देश जारी किए गए हैं।


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