Supreme Court: कोर्ट में की गई सांसदों और विधायकों की 24 घंटे डिजिटल निगरानी की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जमकर लगाई फटकार

Supreme Court: शुक्रवार (1 मार्च) को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में बड़ी ही अजीब मांग की गई है। दरअसल याचिका दायर करते हुए सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि सांसदों और विधायकों की 24 घंटे डिजिटल माध्यम से निगरानी करने का निर्देश दिया जाना चाहिए। वहीं इसपर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को बड़ी फटकार लगाई।

Rishabh Namdev
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करते हुए कोर्ट से सांसदों और विधायकों की 24 घंटे डिजिटल माध्यम से निगरानी करने के निर्देश देने की मांग की।वहीं इस याचिका पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस जेपी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई और पुछा की क्या सांसदों और विधायकों की हरकतों पर नजर रखने के लिए उनके शरीर में चिप लगा दें।

राइट टू प्राइवेसी का हवाला देते हुए याचिका की खारिज:

दरअसल जानकारी के अनुसार यह याचिका दिल्ली के सुरिंदर नाथ कुंद्रा ने दायर की थी। जिसपर हाई कोर्ट ने सुरिंदर नाथ कुंद्रा काे जमकर फटकार लगाई। दरअसल इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राइट टू प्राइवेसी का हवाला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया गया और फटकार लगाते हुए याचिकाकर्ता से इसको लेकर सवाल पूछा गया। दरअसल कोर्ट ने पूछा की क्या चौबीस घंटे कोर्ट सांसदों की हरकतों पर नजर रखने के लिए उनके शरीर पर चिप लगवा दें।

कोर्ट ने जमकर लगाई फटकार:

दरअसल याचिकाकर्ता को कोर्ट ने जमकर फटकार लगाई। इस दौरान बेंच ने कहा की-‘क्या आपको एहसास है कि आप किस बारे में बहस कर रहे हैं? आप सांसदों और विधायकों की 24/7 निगरानी कैसे करवा सकते हैं। सांसदों/विधायकों की भी निजी जिंदगी होती है, घर पर वे अपने परिवार के साथ होते हैं। ऐसा केवल एक दोषी अपराधी के लिए किया जा सकता है, जो कानून के दायरे से भाग सकता है।’ इसके साथ ही CJI चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता काे यह चेतावनी भी दी कि अगर दोबारा ऐसी याचिका दाखिल की जाती है ताे 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

याचिकाकर्ता की क्या थी अपील ?

जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करते हुए कहा था कि ‘सांसद और विधायक शासकों की तरह व्यवहार करने लगते हैं।’ जिसपर बेंच द्वारा याचिकाकर्ता से कहा गया कि आप सभी ऐसा आरोप सभी सांसदों पर नहीं लगा सकते। सभी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में व्यक्ति कानून नहीं बना सकते हैं। जिसके चलते इन्हें केवल निर्वाचित सांसदों के माध्यम से लागू किया जा सकता है।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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