Tada Court: गुरूवार को कोर्ट ने एक बड़ा निर्णय लिया है। जानकारी के अनुसार 1993 के बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को अदालत द्वारा बरी कर दिया गया है। दरअसल कोर्ट द्वारा अब्दुल करीम टुंडा को किसी भी मामले में दोषी नहीं पाया गया है। जानकारी दे दें की राजस्थान के अजमेर की टाडा कोर्ट ने यह बड़ा फैसला लिया है। दरअसल हादसे के 31 साल बाद कोर्ट द्वारा इस मामले में फैसला सुनाया गया है।
2013 में इस मामले में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया:
हालांकि 1993 में कई जगहों पर हुए सिलेसिलेवार बम धमाकों के आरोपियों में से एक तरह जहां अदालत ने अब्दुल करीम टुंडा को बरी किया तो वहीं दूसरी और इरफान और हमीदुद्दीन को मामले में दोषी करार दिया गया है। जानकारी के मुताबिक अब्दुल करीम टुंडा को 2013 में इस मामले में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था। दरअसल 1993 में लखनऊ, सूरत,हैदराबाद, कानपुर, मुंबई की कुछ ट्रेनों में कई बम धमाके हुए थे। जिसके आरोप में अब्दुल करीम टुंडा के साथ इरफान और हमीदुद्दीन को गिरफ्तार किया गया था।
टुंडा बोला ने कोर्ट का जताया आभार:
वहीं अब इस फैसले के बाद टुंडा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि “कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया है, कोर्ट की बहुत मेहरबानी।” जानकारी के अनुसार इस दौरान टुंडा ने कहा की “सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से, खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से।”
आईएसआई से ली थी ट्रेनिंग:
दरअसल अब्दुल करीम उर्फ टुंडा ने 80 के दशक में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से बम बानने से लेकर विस्फोट तक की ट्रेनिंग ली थी। वहीं कुछ समय बाद टुंडा के लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आने की खबर मिली थी। जानकारी के मुताबिक 6 दिसंबर 1993 को हुए ट्रेनों में विस्फोट के समय भी अब्दुल करीम टुंडा लश्कर का विस्फोटक विशेषज्ञ था।