लापरवाही की हद! पोलियो की खुराक की जगह पिला दिया बच्चों को सैनिटाइजर

Gaurav Sharma
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महाराष्ट्र,डेस्क रिपोर्ट। महाराष्ट्र (Maharashtra) के यवतमाल (Yavatmal)  से एक लापरवाही (Negligence) का मामला सामने आया है, जहां पल्स पोलियो अभियान (Pulse polio campaign)  के तहत एक स्वास्थ्य केंद्र पर बच्चों को पोलियो की खुराक (Polio Drop) पिलाने की जगह हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) पिला दिया गया। हैंड सैनिटाइजर (Hand Sanitizer) पिलाने का खुलासा तब हुआ, जब बच्चों को बदन में ऐठन (Body cramps) और उल्टियां (Vomiting) की परेशानी उजागर हुई।

बच्चों को तुरंत वसंतराव नाईक गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (Vasantrao Naik Government Medical College and Hospital) में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों की हालत स्थिर है। बता दें कि मामले में कार्रवाई करते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात डॉक्टर, हेल्थ कर्मी और आशा वर्कर्स को निलंबित कर दिया गया है।

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दरअसल 31 जनवरी यानि की रविवार को 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों को देश भर में पोलियो की दवाई पिलाई गई। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के यवतमाल में भी पल्स पोलियो टीकाकरण के कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें करीब 2 हजार से ज्यादा बच्चे अपने माता-पिता के साथ सुबह पोलियो बूथ पर पहुंचे थे। अधिकारियों के मुताबिक लापरवाही के चलते करीब 12 बच्चों को पोलियो की बूंद के जगह हैंड सैनिटाइजर पिला दिया गया, जिसकी वजह से बच्चों के बदन में ऐठन होने के साथ उन्हें उल्टियां होने लगी।

बच्चों को इस हाल में देखकर वहां मौजूद सभी लोग हक्के बक्के रह गए। जिसके बाद तुरंत बच्चों को इलाज के लिए वसंतराव नाईक गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ले जाया गया। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों का कहना है कि सभी बच्चों की हालत स्थिर है और उनमें सुधार देखा जा रहा है। लेकिन उन्हें लगातार निगरानी में रखने की जरूरत है। बच्चों की स्थिति के आधार पर ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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