भारत का इकलौता शहर, जो सिर्फ 1 दिन के लिए बना था देश की राजधानी, बदल गई थी लोगों की जिंदगी!

आज के समय में यह शहर देश के प्रमुख शहरों में से एक है, जो पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है। यहां देश ही नहीं बल्कि विश्व भर से लोग आते हैं, क्योंकि यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल है।

भारत का इतिहास जितना संघर्ष भरा रहा है, उतना ही रोचक भी रहा है। फिलहाल, यहां की राजधानी दिल्ली है, लेकिन दिल्ली से पहले भारत की बहुत सारी राजधानी बन चुकी है, जिसका अपना अलग-अलग महत्व रहा है, जिन्हें लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार राजधानी बनाई है। इनमें कोलकाता, पाटलिपुत्र, शिमला और धर्मशाला जैसे शहर भी कभी राजधानी हुआ करते थे। जिसे व्यापार की दृष्टि से बनाया जाता था। समृद्ध संस्कृति और कई सारे राज अपने साथ समेटे हुए भारत दुनिया का सबसे प्रसिद्ध देश है। यहां पर्यटन स्थल के साथ-साथ धार्मिक स्थल भी है, जहां सालों भर लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इससे देश की आर्थिक स्थिति को भी मजबूती मिलती है।

आज के आर्टिकल में हम आपको उस राजधानी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो केवल एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनी थी। इसका इतिहास भी रोचक रहा है, आज के समय में यह शहर देश के प्रमुख शहरों में से एक है, जो पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित हो रहा है। यहां देश ही नहीं बल्कि विश्व भर से लोग आते हैं, क्योंकि यह एक धार्मिक पर्यटन स्थल है।

प्रयागराज (Prayagraj)

दरअसल, इस शहर का नाम प्रयागराज है, जो उस समय इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। यह भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, जिसे साल 1858 में एक दिन के लिए भारत की राजधानी बनाई गई थी। उस दिन ईस्ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश राजशाही को भारत के प्रशासन की जिम्मेदारी सौंपी थी। इस एक दिन में बहुत सारे बदलाव देखने को मिले थे, जिससे देश को फायदा भी हुआ था। इस एक दिन में लोगों की जिंदगी में भी काफी ज्यादा बदलाव देखने को मिले थे। आज भी यहां उन सभी नियमों को स्थानीय शहरवासियों द्वारा पालन किया जाता है। यह स्थान देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां जन्में लोगों ने राजनीति, फिल्मी, उद्योग, जैसे सभी क्षेत्रों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

रोचक है इतिहास

इतिहास के पन्ने को पलट कर देखा जाए, तो इलाहाबाद उस समय उत्तर पश्चिमी प्रांत की राजधानी भी था। उस समय से लेकर आज तक यह हिंदूों का प्रमुख तीर्थ स्थल भी है। यहां पर गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, जिसे त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है। हाल ही में यह शहर पूरे विश्व भर में चर्चा का विषय रहा था, क्योंकि यहां महाकुंभ मेले का आयोजन हुआ था, जो कि 144 साल बाद लगा था। जिसमें 66 करोड़ से भी अधिक लोगों ने डुबकी लगाई थी, दुनिया भर के श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया था। हालांकि, यहां अक्सर कुंभ, अर्धकुंभ, आदि लगते रहते हैं।

आस्था का प्रमुख केंद्र

साल 2018 से पहले इसे इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2018 में इसका नाम बदलकर प्रयागराज रख दिया। तब से ही इसे प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। यदि आपको यहां जाने का मौका मिले, तो इस स्थान को जरुर घूमें। यहां आपको मनासिक शांति के साथ-साथ आध्यत्मिक शांति भी मिलेगी। यहां बहुत सारे मंदिर भी है, जहां लोग अपनी आस्था से पहुंचते हैं। इसके अलावा, यहां की गलियां काफी पुरानी है, जहां आपको पुराने जमाने की महक आएगी।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है।पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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