Languages Of India: भारत एक ऐसा देश है जहां कई तरह की संस्कृति, धर्म और मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं। यहां हर थोड़ी दूरी पर लोगों का रहन सहन, तौर तरीके और भाषा बदल जाती है। देश में कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं जिनके बारे में आपने सुना होगा लेकिन कुछ ऐसी भाषा भी है जिनके बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है।
हिंदी, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड़ यह सभी ऐसी भाषाएं हैं जो सभी को बोलना भले ना आती हो लेकिन इनके बारे में सब जानते जरूर है। लेकिन आज हम आपको ऐसी 6 भाषाओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो ना आपने कभी सुनी होगी और ना ही इनके बारे में आपको कोई जानकारी होगी।
ये है Languages Of India
विविधता के मामले में भारत बाकी देशों की तुलना में बहुत ही अलग है। यहां का सबसे विविध पहलू बोली जाने वाली ढेर सारी और अलग-अलग किस्म की भाषाएं हैं। यहां लगभग सैकड़ों भाषाएं बोली जाती है। वहीं कुछ ऐसी भी है जो विलुप्त हो चुकी है लेकिन आज भी कुछ लोग इन्हें बोलते हैं। आज हम आपको उन्हीं भाषाओं के बारे में बताते हैं जो शायद ट्रेवल के दौरान आपके काम आ जाए।
ए टोंग
ए टोंग गारो एक ऐसी भाषा है जो तिब्बती भाषा प्रणालियों का हिस्सा कहीं जाती है। मेघालय और असम में बोली जाने वाली इस भाषा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। किसी भी भाषा का नाम उसके बोलने के तरीके पर ही आधारित होता है और ऐसे ही इस भाषा का नाम भी पड़ा है।
कोंडा डोरा या कुबी
कोंडा और कुबी के नाम से पहचानी जाने वाली यह भाषा कोंडा डोरा की अनुसूचित जनजाति द्वारा बोली जाती है। ये प्रसिद्ध द्रविड़ भाषा है जिसका उपयोग आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, पूर्वी गोदावरी और विजयनगरम जैसे जिलों के साथ ओडिशा के कुछ हिस्से में भी किया जाता है।
ज़ेमे
सिनो तिब्बती भाषा प्रणाली में यह भाषा भी शामिल है जिसे ज़ेमे या फिर ज़ेमी कहा जाता है। नागालैंड में रहने वाले आदिवासी लोग इस भाषा को बोलते हैं। इसके अलावा इसका इस्तेमाल असम और मणिपुर के कुछ कुछ हिस्सों में भी किया जाता है।
तकपा
इस भाषा को दफका या डाकपखा भी कहा जाता है। मुख्य रूप से इसे अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बोला जाता है। भूटान में यह ब्रामी के नाम से पहचानी जाती है और भारत में हो चुकी लुप्तप्राय भाषाओं में से एक में इसकी गिनती होती है।
स्पीति भोटी
ये एक ऐसी भाषा है जिसे भारत के हिमाचल प्रदेश में बोला जाता है। देश की स्थिति घाटी के बारे में तो सभी लोगों ने सुना होगा उसी जगह पर इस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। बदलते वक्त के साथ यह खतरे में पड़ चुकी है और लुप्त होने की कगार पर है।
कच्छी
ये नाम सुनकर कोई भी समझ जाएगा कि गुजरात के कच्छ की बात हो रही है। पर्यटन के लिहाज से यह जगह बहुत प्रसिद्ध है लेकिन यहां बोली जाने वाली भाषा अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। ये भाषा सिंधी बोली से निकली है और इसे हमारे देश के अलावा पाकिस्तान के कुछ हिस्सों में भी बोला जाता है।
निश्चित ही यहां दिखाए गए नामों में से किसी भी भाषा के बारे में आपने नहीं सुना होगा क्योंकि हम अब तक हिंदी, पंजाबी, बंगाली इन्हीं भाषाओं के बारे में जानते थे। लेकिन विविधता से भरे हुए हमारे देश में कई ऐसी भाषाएं हैं जो प्राचीन समय से बोली जा रही हैं लेकिन अब धीरे-धीरे ये विलुप्त हो रही है। अगर आप भी इन जगहों पर घूमने के लिए जा रहे हैं तो इन भाषाओं के बारे में जानकारी होना जरूरी है। आप चाहें तो इन के इतिहास के बारे में स्थानीय लोगों से जानकारी भी ले सकते हैं।