Today Is 139th Birth Anniversary : आज देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की 139वीं जयंती है। इसी कड़ी में पूरे देश में कई स्थानों पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस दौरान बच्चों को डॉ. राजेंद्र प्रसाद के संघर्ष की कहानी बताई जा रही है। ऐसे कार्यक्रम बच्चों को राष्ट्रीय नेताओं के विचारों और उनके योगदान के प्रति जागरूक बनाने में मदद करते हैं। साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जा रहा है। केवल इतना ही नहीं, बिहार से ताल्लुकात रखने वाले राष्ट्रपति की जयंती पर राजधानी पटना में भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें गुजरात के मंत्री भीखू सिंह परमार भी शामिल होंगे। तो चलिए आज के इस खास मौके पर हम आपको छपरा से राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय करने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जीवन के कुछ पहलूओं को विस्तार से बताते हैं…
सिवान में हुआ था जन्म
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को सिवान जिले के जीरादेई में हुआ था और उन्हें उनके परिवार ने बहुत प्यार दिया था। उनका परिवार संयुक्त था। इसी कारण वे अपनी मां और बड़े भाई महेंद्र से गहरा रिश्ता रखते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जीवन और उनके बड़े परिवार के बीच के संबंधों का अहम हिस्सा रहा। बता दें कि उन्होंने पांच साल की उम्र में मौलवी साहब से फारसी में शिक्षा प्रारंभ की थी। बाद में उन्होंने छपरा के जिला स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की लेकिन उनकी शिक्षा पूरी होने से पहले ही उनकी शादी 13 साल की उम्र में राजवंशी देवी से हो गई थी।
13 साल की उम्र में हुई शादी
जिसके बाद उनका वैवाहिक जीवन उनके शैक्षिक और कार्यक्षेत्रीय प्रयासों को बाधित नहीं किया। उन्होंने विवाह के बाद भी अपनी शिक्षा को जारी रखा और पटना की टी.के. घोष अकादमी से अपनी पढ़ाई की। उनकी पत्नी ने भी उनका पूरा समर्थन किया। जिसके बाद उन्होंने 18 साल की उम्र में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान हासिल किया था और उसके फिर कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में दाखिला प्राप्त किया।वहीं, साल 1915 में उन्होंने स्वर्ण पदक सहित विधि परास्नातक (एलएलएम) की परीक्षा पास की और बाद में लॉ के क्षेत्र में डॉक्ट्रेट प्राप्त की।
संविधान निर्माण में निभाई अहम भूमिका
बता दें कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेताओं में से एक थे। उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार संघर्ष किया। साथ ही उन्होंने विभाजन पर नहीं एकता पर जोर दिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, स्वतंत्रता के बाद भारतीय संविधान के निर्माण में भी अहम योगदान दिया। उनकी नेतृत्व में संविधान सभा ने एक संविधान तैयार किया जो भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला बना। उन्होंने भारतीय गणराज्य के पहले राष्ट्रपति के रूप में भी देश को नेतृत्व प्रदान किया। उनके कार्यकाल में वे राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समृद्धि के लिए प्रयास करते रहे। उनकी नेतृत्व में देश ने अपने नागरिकों के माध्यम से अपने विकास की दिशा में कई कदम बढ़ाए।