Asad Ahmed : उमेश पाल हत्याकांड में यूपी एसटीएफ ने हाल ही में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम अहमद का एनकाउंटर UPSTF ने किया है। जानकारी के मुताबिक, उमेश पाल हत्याकांड के बाद दोनों ही आरोपितों के खिलाफ 5 लाख का इनाम घोषित किया गया था। जिसके बाद आज प्रयागराज की एसटीएफ की टीम ने दोनों को झांसी के परीछा डैम के पास मार गिराया।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद पांचों शूटर गायब थे। जिनमें से आज दो को मार गिराया। इससे पहले घटना के 4 दिन बाद ही पुलिस ने एक एनकाउंटर किया था। जिसमें अरबाज को मार गिराया था। इसके अलावा उस्मान और विजय का भी 6 मार्च के दिन पुलिस ने एनकाउंटर किया था।
अतीक अहमद के बेटे का एनकाउंटर…@dgpup @Uppolice @uppstf @myogioffice @myogiadityanath @VirendraSharmaG @AmitabhYash@BJP4UP @INCUttarPradesh @InfoDeptUP #अतीक़अहमद #असद #असदअहमद#stf #upstf #UPPolice #UPPoliceInNews pic.twitter.com/rJyrFrcHHM
— MP Breaking News (@mpbreakingnews) April 13, 2023
वकील उमेश पाल की मां शांति देवी ने कहा
उमेश पल की मां शांति देवी ने दिया सीएम योगी का धन्यवाद, कहा पुलिस ने अपना फ़र्ज़ अदा किया सीएम ने हमें न्याय दिलाया। जो हुआ कानून के हिसाब से हुआ।
#WATCH | "This is a tribute to my son," says Shanti Devi, mother of slain lawyer Umesh Pal, on police encounter of former MP Atiq Ahmed's son Asad and his aide in Jhansi today pic.twitter.com/tCIYxDhOHl
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) April 13, 2023
17 साल पुराना है मामला
अतीक अहमद को जिस मामले में सजा सुनाई गई है, वह मामला 17 साल पुराना है। यह केस है राजू पाल हत्याकांड के मुख्य ग्वाह रहे उमेश पाल के अपहरण का। वहीं उमेश पाल जिसकी हाल ही में हत्या कर दी गई। उमेश पाल ने ही अतीक के खिलाफ केस दर्ज कराया था कि अतीक ने उसका अपहरण कर उसे टॉर्चर किया था।
किस मामले में दोषी करार दिया गया अतीक?
घटना 2006 की है। इसे लेकर मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। लेकिन, कहानी 2005 से शुरू होती। दरअसल 25 जनवरी 2005 का दिन इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल पर जानलेवा हमला हुआ। शहर के पुराने इलाकों में शुमार सुलेमसराय में बदमाशों ने राजू पाल की गाड़ी पर गोलियों की बौछार कर दी थी। सैकड़ों राउंड फायरिंग से गाड़ी में सवार लोगों का पूरा शरीर छलनी हो गया।
बदमाशों ने फायरिंग रोकी तो समर्थक राजू पाल को एक टैंपो में लेकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों ने ये देखा तो उन्हें लगा राजू जिंदा हैं। तुरंत हमलावरों ने अपनी गाड़ी टैंपो के पीछे लगा ली और फिर फायरिंग शुरू कर दी। करीब पांच किलोमीटर तक वह टैंपो का पीछा करते गए। जब तक राजू पाल अस्पताल पहुंचे, उन्हें 19 गोलियां लग चुकी थीं। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दस दिन पहले ही राजू की शादी पूजा पाल से हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे।
हत्याकांड के बाद अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि उमेश केस से हट जाएं नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वह समय बदलने का इंतजार कर रहे थे।
जब उमेश ने अतीक के पक्ष में हलफनामा दे दिया फिर अपहरण का मामला कैसे शुरू हुआ?
अपहरण वाले दिन क्या हुआ था?
अतीक पर दर्ज हो चुके हैं 101 मुकदमे
अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं, जिनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे हैं। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया।
कई मुकदमों में मुकर गए गवाह
जुर्म और राजनीति के साथ -साथ अतीक अब ठेकेदारी और जमीन के धंधे में भी कूद पड़ा। जमीन की खरीद-फरोख्त और रंगदारी से अतीक ने ही नहीं, बल्कि उसके गुर्गों ने भी अकूत संपत्ति जुटा ली। अतीक का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था। अगर कर भी दिया तो बाद में गवाह मुकर जाते। कई मामलों में वादी ने ही लिखकर दे दिया कि उसने अतीक के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया था। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने अतीक के खिलाफ कई गंभीर मुकदमों को वर्ष 2001, 2003 और 2004 में वापस ले लिया था। कई मामलों में तो पुलिस ने अतीक की नामजदगी को गलत बता एफआर लगा दी थी।
एक बार एनएसए भी लगाया जा चुका है
उमेश ने लगाए थे गंभीर आरोप
उमेश ने अपनी तहरीर में कहा था कि उसे अगवा कर प्रयागराज के चकिया स्थित अतीक के कार्यालय ले जाया गया था। बताया जाता है कि अतीक के दफतर में एक टॉर्चर रूम भी है। पुलिस का मानना है कि उमेश पाल को ले जाकर वहीं रखा गया और उसे यातनाएं दी गईं।