Asad Ahmed : अतीक अहमद के बेटे असद को UPSTF ने झांसी में किया एनकाउंटर में ढेर, उमेश पाल मर्डर केस में था आरोपी

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Asad Ahmed : उमेश पाल हत्याकांड में यूपी एसटीएफ ने हाल ही में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। बताया जा रहा है माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम अहमद का एनकाउंटर UPSTF ने किया है। जानकारी के मुताबिक, उमेश पाल हत्याकांड के बाद दोनों ही आरोपितों के खिलाफ 5 लाख का इनाम घोषित किया गया था। जिसके बाद आज प्रयागराज की एसटीएफ की टीम ने दोनों को झांसी के परीछा डैम के पास मार गिराया।

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उमेश पाल हत्याकांड के बाद पांचों शूटर गायब थे। जिनमें से आज दो को मार गिराया। इससे पहले घटना के 4 दिन बाद ही पुलिस ने एक एनकाउंटर किया था। जिसमें अरबाज को मार गिराया था। इसके अलावा उस्मान और विजय का भी 6 मार्च के दिन पुलिस ने एनकाउंटर किया था।

वकील उमेश पाल की मां शांति देवी ने कहा 

उमेश पल की मां शांति देवी ने दिया सीएम योगी का धन्यवाद, कहा पुलिस ने अपना फ़र्ज़ अदा किया सीएम ने हमें न्याय दिलाया। जो हुआ कानून के हिसाब से हुआ।

17 साल पुराना है मामला

अतीक अहमद को जिस मामले में सजा सुनाई गई है, वह मामला 17 साल पुराना है। यह केस है राजू पाल हत्‍याकांड के मुख्‍य ग्‍वाह रहे उमेश पाल के अपहरण का। वहीं उमेश पाल जिसकी हाल ही में हत्‍या कर दी गई। उमेश पाल ने ही अतीक के खिलाफ केस दर्ज कराया था क‍ि अतीक ने उसका अपहरण कर उसे टॉर्चर किया था।

किस मामले में दोषी करार दिया गया अतीक?

घटना 2006 की है। इसे लेकर मुकदमा 2007 में दर्ज हुआ। लेकिन, कहानी 2005 से शुरू होती। दरअसल 25 जनवरी 2005 का दिन इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से नवनिर्वाचित विधायक राजू पाल पर जानलेवा हमला हुआ। शहर के पुराने इलाकों में शुमार सुलेमसराय में बदमाशों ने राजू पाल की गाड़ी पर गोलियों की बौछार कर दी थी। सैकड़ों राउंड फायरिंग से गाड़ी में सवार लोगों का पूरा शरीर छलनी हो गया।

बदमाशों ने फायरिंग रोकी तो समर्थक राजू पाल को एक टैंपो में लेकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों ने ये देखा तो उन्हें लगा राजू जिंदा हैं। तुरंत हमलावरों ने अपनी गाड़ी टैंपो के पीछे लगा ली और फिर फायरिंग शुरू कर दी। करीब पांच किलोमीटर तक वह टैंपो का पीछा करते गए। जब तक राजू पाल अस्पताल पहुंचे, उन्हें 19 गोलियां लग चुकी थीं। डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दस दिन पहले ही राजू की शादी पूजा पाल से हुई थी। राजू पाल के दोस्त उमेश पाल इस हत्याकांड के मुख्य गवाह थे।

हत्याकांड के बाद अतीक ने कई लोगों से कहलवाया कि उमेश केस से हट जाएं नहीं तो उन्हें दुनिया से हटा दिया जाएगा। उमेश नहीं माने तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया। उसे करबला स्थित कार्यालय में ले जाकर अतीक ने रात भर पीटा था। अतीक ने उनसे अपने पक्ष में हलफनामा लिखवा लिया। अगले दिन  उमेश ने अतीक के पक्ष में अदालत में गवाही भी दे दी। हालांकि वह समय बदलने का इंतजार कर रहे थे।

जब उमेश ने अतीक के पक्ष में हलफनामा दे दिया फिर अपहरण का मामला कैसे शुरू हुआ?

2007 में बसपा सरकार बनी। मायावती मुख्यमंत्री बनीं। 2007 के चुनाव में एक बार फिर शहर पश्चिमी सीट से अतीक के भाई अशरफ को राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने हरा दिया। इसके बाद अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। हालात बदले तो उमेश ने अपने अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले की उमेश सालों पैरवी करते रहे। उमेश पाल ने अपने अपहरण के मामले को लगभग अंजाम तक पहुंचा दिया, लेकिन फैसले से एक महीने पहले उनकी हत्या कर दी गई। अब इसी मामले में अतीक दोषी करार दिया गया। इसके साथ ही 44 साल तक अपने आतंक को कायम रखने वाले अतीक को जिदंगी में पहली बार सजा होने जा रही है।

अपहरण वाले दिन क्या हुआ था?

तो 28 फरवरी 2006 को अतीक के लोगों ने उमेश को उठा लिया। रातभर उन्हें पीटा गया। उमेश को उस समय लगा था कि यह उसकी आखिरी रात है। अतीक ने उससे हलफनामा पर दस्तखत करा लिए। हलफनामे पर लिखा था कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे। न ही उन्होंने किसी को वहां देखा था। अगले दिन यानी एक मार्च को अतीक ने अदालत में उमेश के हलफनामा को प्रस्तुत कर अदालत के सामने गवाही भी दिलवा दी। उस समय शासन प्रशासन में अतीक की तूती बोलती थी।
2007 में जब बसपा सरकार बनी तो स्थिति बदलने लगी। अतीक के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई। पांच जुलाई 2007 को उमेश ने अतीक, अशरफ समेत कुल 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इनमें से एक की मौत हो चुकी है।

अतीक पर दर्ज हो चुके हैं 101 मुकदमे

अतीक के खिलाफ कुल 101 मुकदमे दर्ज हुए। वर्तमान में कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं, जिनमें एनएसए, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के डेढ़ दर्जन से अधिक मुकदमे हैं। उस पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था। इसके बाद जुर्म की दुनिया में अतीक ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हत्या, लूट, रंगदारी अपहरण के न जाने कितने मुकदमे उसके खिलाफ दर्ज होते रहे। मुकदमों के साथ ही उसका राजनीतिक रुतबा भी बढ़ता गया।

कई मुकदमों में मुकर गए गवाह

जुर्म और राजनीति के साथ -साथ अतीक अब ठेकेदारी और जमीन के धंधे में भी कूद पड़ा। जमीन की खरीद-फरोख्त और रंगदारी से अतीक ने ही नहीं, बल्कि उसके गुर्गों ने भी अकूत संपत्ति जुटा ली। अतीक का खौफ इतना था कि उसके खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज करने की हिम्मत नहीं करता था। अगर कर भी दिया तो बाद में गवाह मुकर जाते। कई मामलों में वादी ने ही लिखकर दे दिया कि उसने अतीक के खिलाफ गलत मुकदमा दर्ज कराया था। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने अतीक के खिलाफ कई गंभीर मुकदमों को वर्ष 2001, 2003 और 2004 में वापस ले लिया था। कई मामलों में तो पुलिस ने अतीक की नामजदगी को गलत बता एफआर लगा दी थी।

एक बार एनएसए भी लगाया जा चुका है

1989 में वह पहली बार विधायक हुआ तो जुर्म की दुनिया में उसका दखल कई जिलों तक हो गया। 1992 में पहली बार उसके गैंग को आईएस 227 के रूप में सूचीबद्ध करते हुए पुलिस ने अतीक को इस गिरोह का सरगना घोषित कर दिया। 1993 में लखनऊ में गेस्ट हाउस कांड ने अतीक को काफी कुख्यात किया। गैंगस्टर एक्ट के साथ ही उसके खिलाफ कई बार गुंडा एक्ट की कार्रवाई भी की गई। एक बार तो उस पर एनएसए भी लगाया जा चुका है।

उमेश ने लगाए थे गंभीर आरोप

उमेश ने अपनी तहरीर में कहा था क‍ि उसे अगवा कर प्रयागराज के चकिया स्‍थ‍ित अतीक के कार्यालय ले जाया गया था। बताया जाता है क‍ि अतीक के दफतर में एक टॉर्चर रूम भी है। पुलिस का मानना है क‍ि उमेश पाल को ले जाकर वहीं रखा गया और उसे यातनाएं दी गईं।


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Ayushi Jain

मुझे यह कहने की ज़रूरत नहीं है कि अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारी रखना मनुष्य का सहज स्वभाव है। उसमें जिज्ञासा का भाव बहुत प्रबल होता है। यही जिज्ञासा समाचार और व्यापक अर्थ में पत्रकारिता का मूल तत्त्व है। मुझे गर्व है मैं एक पत्रकार हूं।मैं पत्रकारिता में 4 वर्षों से सक्रिय हूं। मुझे डिजिटल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कंटेंट राइटिंग, कंटेंट क्यूरेशन, और कॉपी टाइपिंग में कुशल हूं। मैं वास्तविक समय की खबरों को कवर करने और उन्हें प्रस्तुत करने में उत्कृष्ट। मैं दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखना जानती हूं। मैने माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएशन किया है। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन एमए विज्ञापन और जनसंपर्क में किया है।

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