सरकारी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण खबर, NPS नियमों में बदलाव, नई गाइडलाइन जारी, जानें अब किस तरह मिलेगा लाभ?

यद‍ि कर्मचारी को नौकरी से सस्‍पेंड कर द‍िया जाता है तो वह अपने कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन को जारी रखने का व‍िकल्‍प चुन सकते हैं। यदि उन्हें गलती से सस्‍पेंड क‍िया गया था तो उनकी नई सैलरी के ह‍िसाब से योगदान की राशि फिर से तय की जाएगी।

Pooja Khodani
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nps new rule

NPS Rule Change: केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। महंगाई भत्ता वृद्धि से पहले केंद्र की मोदी सरकार ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव करते हुए, नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।इसमें मंथली सैलरी से NPS में 10 प्रतिशत कंट्रीब्यूशन का भी जिक्र किया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के तहत आने वाले ड‍िपार्टमेंट ऑफ पेंशन एंड पेंशनर्स वेलफेयर ने 7 अक्टूबर 2024 को एक मेमोरंडम जारी कर कहा है कि NPS अमाउंट निकटतम पूर्ण रुपये तक पूर्णांकित की जाएगी, जबकि कंट्रीब्यूशन की समय-समय समीक्षा की जाएगी।

NPS की नई गाइडलाइन

  • अगर कोई कर्मचारी सस्पेंड होता है तो उसके पास NPS कंट्रीब्यूशन को जारी रखने का विकल्प होगा, जबकि सस्पेंशन हटने के बाद वह फिर से सेवा में आता है तो उस समय के वेतन के आधार पर योगदान की फिर से गणना की जाएगी।
  • अगर  कंट्रीब्यूशन में कोई गलती होती है तो, उसे ब्याज सहित लाभार्थी के पेंशन खाते में जमा कर दिया जाएगा।
  • अगर कोई कर्मचारी अनुपस्थित रहता है या बिना वेतन के छुट्टी पर है तो, उसे एनपीएस कंट्रीब्यूशन देने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • कमर्चारी दूसरे डिपॉर्टमेंट या दूसरे संस्थान में जाता है तो उसे तभी इस प्रकार से अंशदान करना होगा।
  • प्रोवेशन पीरिएड वाले एंप्लाई के लिए भी एनपीएस कंट्रीब्यूशन करना अनिवार्य है।यद‍ि कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन में देरी होती है तो प्रभावित कर्मचारियों को उनके योगदान के साथ ब्याज भी मिलेगा।

जानिए क्या है एनपीएस

NPS  एक तरह की सेविंग स्कीम है। इसमें निवेश राशि के मैच्योर हो जाने के बाद निवेशक को पेंशन का लाभ मिलता है।इसमें 60 साल की उम्र के बाद निवेशक को निवेश की गई राशि का एक हिस्सा मिलता है और दूसरा हिस्सा पेंशन के तौर पर मिलता है।NPSके तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10% देना होता है और इसमें राज्य सरकार केवल 14% का ही योगदान देती है।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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