IAS पूजा खेडकर विवाद के बीच UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी ने दिया इस्तीफा, 2029 तक था कार्यकाल, बताई ये वजह

कहा ये भी जा रहा है कि मनोज सोनों ने जून के आखिरी सप्ताह में ही मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया था हालांकि सूत्र बताते हैं कि मनोज सोनी का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है।

Atul Saxena
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UPSC Chairman Manoj Soni resigns:  ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को लेकर चल रहे विवाद के बीच संघ लोकसेवा आयोग से जुड़ी एक बड़ी खबर बाहर आई है। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष (UPSC Chairperson) मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया है। खास बात ये है कि मनोज सोनी का कार्यकाल 2029 तक था और उन्होंने अचानक कार्यकाल पूरा होने से पांच पहले अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को भेजा है। बताया ये जा रहा है कि ये मनोज सोनी ने व्यक्तिगत कारणों के चलते इस्तीफा दिया है इसका पूजा खेडकर विवाद से कोई सम्बन्ध नहीं है ।

अब आध्यात्म को अधिक समय देना चाहते डॉ सोनी 

आपको बता दें कि मनोज सोनी ने 2017 में यूपीएससी के सदस्य बने थे फिर 16 मई 2023 को उन्हें यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन का अध्यक्ष (UPSC Chairperson) बनाया गया , यूपीएससी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मनोज सोनी गुजरात में स्वामीनारायण संप्रदाय की एक शाखा अनुपम मिशन से जुड़े हैं और अब वे अपना ज्यादा समय उस मिशन को देना चाहते हैं और आध्यात्म में समय बिताना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने ये फैसला किया है।

सबसे कम उम्र का कुलपति बनने का रिकॉर्ड मनोज सोनी के नाम दर्ज है 

उधर कहा ये भी जा रहा है कि मनोज सोनों ने जून के आखिरी सप्ताह में ही मनोज सोनी ने इस्तीफा दे दिया था हालांकि सूत्र बताते हैं कि मनोज सोनी का इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है। तीन बार विश्व विद्यालय के वाइस चांसलर रहे डॉ. मनोज सोनी 2005 में देश के सबसे कम उम्र के यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर बने थे और ये एक रिकॉर्ड रहा है।

पूजा खेडकर विवाद के चलते सुर्ख़ियों में है UPSC  

UPSC देश में IAS, IPS, IFS सहित केंद्र सरकार के सेवा से जुडी महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है इस दिनों यूपीएससी प्रशिक्षु आईएएस पूजा खेडकर को लेकर चर्चा में और विवादों में है पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सेवा में प्रवेश पाने के लिए कथित तौर पर अपने दस्तावेजों में जालसाजी की है।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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