चलिए करते हैं 12 Jyotirlingas की दर्शन यात्रा, ऐसे हुई थी उत्पत्ति, इस शहर में है पहला स्थान

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12 Jyotirlingas

12 Jyotirlingas : हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ के 12 ज्योतिर्लिंग का काफी ज्यादा महत्व माना गया है। यह 12 ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग स्थानों पर स्थित है। जहां की मान्यता काफी ज्यादा है। दूर-दूर से भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए इन ज्योतिर्लिंग पर आते हैं। कहा जाता है कि जो इंसान 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।

साथ ही उसके सभी संकट और बाधाएं दूर हो जाती है। लेकिन एक बात यह भी है कि हर कोई 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पाता है। सिर्फ कुछ ही लोग होते हैं जो हर स्थान पर जाकर बाबा भोलेनाथ के दर्शन कर पाया है, या कर पाता है। उन लोगों को किस्मत वाला कहा जाता है। इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि वह लोग काफी ज्यादा सौभाग्यशाली होते हैं।

इसके अलावा कहानी के मुताबिक जिन 12 स्थानों पर ज्योतिर्लिंग बनाए गए हैं, वहां शिव शंकर ने अवतार लेकर अपने भक्तों को दर्शन दिए थे। उसके बाद उन जगहों पर ज्योतिर्लिंग के स्थापना कर दी गई। आज हम आपको देश के 12 विभिन्न स्थानों पर स्थित ज्योतिर्लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं। साथ ही इसकी उत्पत्ति कैसे हुई यह भी बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इस आर्टिकल से –

देश के इन स्थानों पर स्थापित है 12 Jyotirlingas –

12 Jyotirlingas

  • सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात
  • नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात
  • भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र
  • त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नाशिक
  • घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र
  • वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड
  • केदारनाथ मंदिर केदारनाथ, उत्तराखण्ड
  • श्री काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश
  • ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मप्र
  • महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन मध्य प्रदेश
  • रामेश्वरम, तमिलनाडु
  • मल्लिकार्जुन, आंध्रप्रदेश

कैसे हुई ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति –

सभी ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का अलग अलग रूप माना जाता हैं। दरअसल, ज्योतिर्लिंग शब्द को जब तोड़ते हैं तो ये “ज्योति” यानी चमक और “लिंग” यानी भगवान शिव का स्वरुप दोनों को मिला कर इसका अर्थ भगवान शिव के प्रकाशवान दिव्य से होता हैं। ऐसे में इसे सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता हैं।

आपको बता दे, खुद से प्रकट हुए भगवान शिव के दिव्य रूप को ज्योतिर्लिंग कहा जाता हैं। क्योंकि ज्योतिर्लिंग स्वयंभू होते हैं। अभी तक इसकी उत्पत्ति को लेकर कई मान्यताएं हैं। लेकिन पुराण में बताया गया है कि जब पृथ्वी पर ज्योति पिंड गिरे तब उनसे पूरी पृथ्वी पर प्रकाश फैल गया। जिसके बाद ही इन 12 पिंडो को ज्योतिर्लिंग का नाम दे दिया गया। ये उत्पत्ति भगवान शिव और ब्रह्मा के विवाद से निपटने के लिए हुई थी।

यहां है 12 ज्योतिर्लिंग का स्थान –

  1. गुजरात में भगवान शंकर का पहला ज्योतिर्लिंग हैं। जिसे सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। ये पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग हैं। ये मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान और पतन के इतिहास का प्रतीक रहा है। यहां हर साल हजारों भक्त आते हैं।
  2. इसके बाद दूसरा मंदिर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं जो गोमती द्वारका और बैत द्वारका के बीच हैं। ये भी गुजरात में ही हैं। ये धरती का सबसे शक्तिशाली ज्योतिर्लिंग माना गया हैं।
  3. महाराष्ट्र में पूरे 5 ज्योतिर्लिंग हैं। इन्हीं में से एक हैं भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग। इसे मोटेश्वर मंदिर नाम से भी जाना जाता है। सुहाद्रि नामक पर्वत ये मंदिर स्थित हैं।
  4. महाराष्ट्र के नासिक में ये त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। ये बेहद ही प्रचलित हैं। इस ज्योतिर्लिंग का सबसे अनोखा हिस्सा इसका आकार है। एक तीर्थस्थल के बजाए यहां एक खंभा है, जिसमें तीन खंभे हैं। ये तीन खंभे सबसे शक्तिशाली और आधिकारक देवताओं ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  5. नंदी बैल घृष्णेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। अहिल्याबाई होल्कर द्वारा निर्मित इस मंदिर को ग्रुमेश्वर और कुसुमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
  6. वैद्यनाथ देश के सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले ज्योतिर्लिंग में से एक हैं। यह 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता हैं। लोगों का मानना है कि यहां भगवान शिव की आराधना करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है।
  7. केदारनाथ भी ज्योतिर्लिंग हैं। यहां साल भर भक्तों का तांता देखने को मिलता हैं। केदारनाथ के दर्शन करने के बाद व्यक्ति का जीवन सफल हो जाता है। हरिद्वार से केदारनाथ की दूरी 150 किमी है।
  8. काशी विश्वनाथ भारत में 12 ज्योतिर्लिगों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। भगवान शिव ने यहां निवास कर सभी को खुशी और मुक्ति प्रदान की थी।
  9. मध्यप्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। एक बार देवता और दानवों के बीच युद्ध हुआ और देवताओं ने भगवान शिव से जीत की प्रार्थना की।
  10. उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का विशाल आध्यात्मिक महत्व है। यह सबसे प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। मंदिर का निर्माण पांच साल के लड़के श्रीकर ने कराया था।
  11. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग भी प्रसिद्ध हैं। तमिलनाडु के रामेश्वरम द्वीप पर ये स्थित हैं। यह मंदिर समुद्र से घिरा हुआ है। यह ज्योतिर्लिंग भी भारत के चार धामों में से एक है।
  12. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को साउथ का कैलाश भी कहा जाता है। मल्लिकार्जुन के मंदिर को शिव और पार्वती के देवताओं के रूप में जाना जाता है।

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Ayushi Jain

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