दरअसल, हर साल की तरह इस साल भी इस खास मौके पर “पोस्ट फॉर प्लेनेट” थीम तय किया गया है। इस दिवस को खासकर दिन को चिन्हित करने के लिए मनाया जाता है। बता दें कि डाक एक ऐसी सुविधा है जो लोगों को, समाज को, एक देश से दूसरे देश को जोड़ने का काम करती है। शुरुआती दौर में जिस वक्त इतनी टेक्नोलॉजी विकसित नहीं हुई थी, उस वक्त डाक के माध्यम से लोग एक-दूसरे की जानकारी हासिल कर पाते थे। लोग बेसब्री से अपने लोगों की बारे में जानने के लिए आस लगाए बैठे रहते थे और जब भी कोई डाकिया डाक लेकर आता था तो सभी के मन में एक अलग सी बैचेनी देखने को मिलती थी। लोगों को एक-दूसरे का हाल जानने में महीनों-महीने लग जाते थे। पहले के जमाने में डाक द्वारा पत्र भेजना बहुत महंगा था। जितने लोगों की कमाई नहीं होती थी, उससे ज्यादा महंगा डाक के माध्यम से चिट्ठी भेजना होता था लेकिन टेक्नोलॉजी आने के बाद लोग इसके महत्तव को भूलने लगे हैं। इसलिए हर साल इसे मनाया जाता है।
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भारत में साल 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में डाकघर की स्थापना की थी जो कि उनके व्यापार के लिए था। जिसके बाद साल 1880 में मनी ऑर्डर सिस्टम लागू कर दिया गया। इसके बाद 1986 में स्पीड पोस्ट की शुरुआत की गई। वहीं, एक सर्वे के मुताबिक, साल 2017 तक भारत में कुल 1,54,965 पोस्ट ऑफिस थे और भारत का पहला डाक टिकट देश की आजादी के बाद 21 नवंबर, 1947 को जारी किया गया था, जिसमें राष्ट्रीय ध्वज को दर्शाया गया था।
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इतना ही नहीं पोस्ट ऑफिस के स्थापित होने से देश के लाखों लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ। हर साल डाक विभाग में वैकेंसी निकलती है। बदलते दौर में डाक विभाग ने भी अपने सिस्टम में बदलाव किए हैं, जिससे घर बैठे लोग अपने पोस्ट की जानकारी हासिल कर सकते।
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