World Sickle Cell Day: हर साल 19 जून को मनाया जाने वाला विश्व सिकल सेल दिवस, इस गंभीर आनुवंशिक रक्त विकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह बीमारी खासकर अफ्रीकी, दक्षिण अमेरिकी और कैरेबियाई और के लोगों में ज़्यादा पाई जाती है, लेकिन भारत जैसे देश भी इससे अछूते नहीं हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े चिंताजनक हैं – हर साल लगभग 3 लाख बच्चे हीमोग्लोबिन बीमारी के गंभीर रूपों, जिनमें सिकल सेल रोग भी शामिल है, के साथ जन्म लेते हैं। और दुनिया की करीब 5% आबादी इस रोग की वाहक है, यानी उनके शरीर में निष्क्रिय रूप से यह जीन मौजूद है।
MP के आदिवासी बाहुल्य इलाके में सिकल सेल के मामले लगातार बढ़ रहे
मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाके में सिकल सेल एनीमिया के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ये खून से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन शादी से पहले होने वाली जांच से इससे बचा जा सकता है। परेशानी ये है कि आदिवासी समुदाय के लोग इस जांच से कतराते हैं। इसकी वजह जागरूकता की कमी और जांच को लेकर गलतफहमी बताई जा रही है. कई बार उन्हें डर होता है कि जांच कराने से शादी टूट जाएगी।
डिंडौरी में शिविर का आयोजन किया जा रहा
विश्व सिकल सेल दिवस के अवसर पर 19 जून, बुधवार को डिंडौरी जिला मुख्यालय में एक मेगा राज्य स्तरीय शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस महत्वपूर्ण शिविर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ला और राज्य के 6 मंत्री शामिल होंगे। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ सुबह 10:55 बजे हेलीकॉप्टर से डिंडौरी पहुंचेंगे और लगभग एक घंटे तक वहां उपस्थित रहेंगे। यह पहली बार है जब जिले में किसी उपराष्ट्रपति का दौरा हो रहा है। इस अवसर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं, जिसमें एक हजार से अधिक सुरक्षा जवान तैनात रहेंगे। शिविर में सभी चिन्हित सिकल सेल पीड़ितों को लाकर उनका इलाज किया जाएगा, जिससे उन्हें उचित चिकित्सा सहायता मिल सके। यह आयोजन स्वास्थ्य जागरूकता और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।
CM मोहन यादव और राज्यपाल मंगुभाई का ट्वीट
मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी ने विश्व सिकल दिवस के अवसर पर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक प्रेरणादायक संदेश साझा किया है। उन्होंने लिखा है, “मध्य प्रदेश ने ठाना है सिकल सेल एनीमिया को हराना है जिंदगी को जिताना है…”
मध्य प्रदेश ने ठाना है
सिकल सेल एनीमिया को हराना है
जिंदगी को जिताना है….“विश्व सिकल सेल दिवस 2024”#DrMohanYadav#CMMadhyaPradesh pic.twitter.com/BrBmzzHK8G
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) June 19, 2024
राज्यपाल मंगुभाई ने भी विश्व सिकल दिवस के अवसर पर अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर एक संदेश साझा किया है। उन्होंने लिखा है, “विश्व सिकल सेल दिवस पर जो भी, जहाँ भी, जिस भी स्तर पर हैं, वह सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में सक्रिय सहयोग का संकल्प लें।”
विश्व सिकल सेल दिवस
पर जो भी, जहाँ भी, जिस भी स्तर पर हैं, वह सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में सक्रिय सहयोग का संकल्प लें। pic.twitter.com/5rSxKx4m3D— Governor of Madhya Pradesh (@GovernorMP) June 19, 2024
2023 में पीएम मोदी ने लॉन्च किया सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन
साल 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहडोल में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन-2047 का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने वीरांगना रानी दुर्गावती को पुष्पांजलि अर्पित की। यह मिशन 2047 तक भारत में सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने का लक्ष्य रखता है। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने लाभार्थियों को सिकल सेल आनुवंशिक स्थिति कार्ड वितरित किए। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत में आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है, जो इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
क्या होता है सिकल सेल रोग?
सामान्य रूप से हमारी लाल रक्त कोशिकाएं गोल आकार की होती हैं, जो पूरे शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं। लेकिन सिकल सेल रोग में जीन में बदलाव के कारण ये कोशिकाएं अर्धचंद्राकार (sickle shaped) हो जाती हैं। यही वजह है कि इस बीमारी का नाम सिकल सेल रोग रखा गया है। ये असामान्य आकार की कोशिकाएं रक्त वाहिकाओं में अटक जाती हैं, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता और कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
सिकल सेल रोग के लक्षण
शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने के कारण थकान और कमजोरी महसूस होना। त्वचा और आंखों का पीला पड़ जाना। तिल्ली का बढ़ जाना, जो संक्रमण से लड़ने में मदद करती है, लेकिन सिकल सेल रोग में यह बढ़कर काम करना बंद कर देती है। शरीर के विभिन्न अंगों, खासकर पेट और छाती में दर्द होना।फेफड़ों तक ऑक्सीजन कम पहुंचने से सांस लेने में दिक्कत होना। हड्डियों तक पोषण कम पहुंचने से दर्द और सूजन होना।