World Theatre Day : शेक्सपियर ने कहा है “ये दुनिया एक रंगमंच है”। आज इस रंगमंच का उत्सव मनाने का दिन है। हर साल 27 मार्च को रंगमंच कला को बढ़ावा देने और इसके संरक्षण के उद्देश्य के साथ ये दिन दुनियाभर में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य रंगमंच यानी थिएटर कला को बढ़ावा देना, उसकी समृद्ध विरासत को संरक्षित रखना और समाज में उसकी उपयोगिता को रेखांकित करना है।
ये दिन नाटक, अभिनय और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए समर्पित है। रंगमंच कलाकारों को रेखांकित किया जाए ये आवश्यक है। साथ ही, इसका उद्देश्य समाज में रंगमंच के प्रति जागरूकता फैलाना और इसे एक शक्तिशाली माध्यम के रूप में स्थापित करना है..जो मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का माध्यम भी है और सामाजिक बदलाव भी लाता है।

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास
विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत 1961 में अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (International Theatre Institute – ITI) द्वारा की गई थी। पहली बार ये दिन 27 मार्च 1962 को मनाया गया। इसकी नींव फ्रांस के नाटककार जीन कोक्ट्यू (Jean Cocteau) के एक संदेश के साथ रखी गई..जिसमें उन्होंने रंगमंच की वैश्विक भूमिका पर जोर दिया। तब से हर साल इस दिन को एक खास संदेश के साथ मनाया जाता है..जो किसी प्रसिद्ध रंगमंच कलाकार द्वारा लिखा जाता है।
World Theatre Day : इस साल की थीम
इस साल विश्व रंगमंच दिवस की थीम “थिएटर एंड कल्चर ऑफ पीस” (Theatre and a Culture of Peace) यानी “रंगमंच और शांति की संस्कृति” रखी गई है। यह थीम रंगमंच की उस ताकत को दर्शाती है जिसके माध्यम से समाज में शांति, संवाद और सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया जा सकता है। थिएटर विभिन्न संस्कृतियों और विचारों को एक साथ लाकर आपसी समझ और सहयोग को प्रोत्साहित करता है। रंगमंच कलाकार अपने नाटकों के ज़रिए समाज में प्रेम, सौहार्द और एकता का संदेश देते हैं।
विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य और महत्व
इस दिन का मुख्य उद्देश्य रंगमंच को बढ़ावा देना है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस कला से जुड़ सकें। ये दिन थिएटर आर्टिस्ट के योगदान और महत्व को दर्शाता है। कला और साहित्य समाज का दर्पण होते हैं। रंगमंच सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं, ये सामाजिक राजनीतिक मुद्दों को भी पूरी ताकत से उठाया है और मौजूं विषयों पर संवाद करता है। ये भावनाओं को व्यक्त करने और लोगों को एकजुट करने का एक अनोखा तरीका है। विश्व रंगमंच दिवस इस कला को जीवित रखने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद करता है।